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दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद जम्मू कश्मीर के सीएम ने विपक्ष को दी ये बड़ी नसीहत

बीएस राय: दिल्ली विधानसभा चुनाव के शुरुआती रुझानों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बहुमत की ओर बढ़ती दिख रही है. वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) भी कड़ी टक्कर दे रही है, जबकि कांग्रेस पार्टी सिर्फ एक सीट पर आगे चल रही है. बीजेपी की बढ़त, आप की चुनौती चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी 41 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि आम आदमी पार्टी 29 सीटों पर आगे चल रही है.

दिल्ली विधानसभा की कुल 70 सीटों में से सरकार बनाने के लिए 36 सीटों की जरूरत है. बीजेपी की बढ़त इस बात का संकेत दे रही है कि राजधानी की सियासत में बड़ा बदलाव हो सकता है. कांग्रेस का निराशाजनक प्रदर्शन कभी दिल्ली में मजबूत रही कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन इस चुनाव में बेहद कमजोर नजर आ रहा है.

पहले जहां कांग्रेस 2 सीटों पर आगे थी, वहीं अब यह आंकड़ा घटकर सिर्फ 1 सीट पर आ गया है. इससे साफ है कि दिल्ली के मतदाता इस चुनाव में कांग्रेस को कोई खास अहमियत नहीं दे रहे हैं. भारत गठबंधन में मतभेद पर उमर अब्दुल्ला का कटाक्ष

दिल्ली चुनाव के नतीजों पर विपक्षी गुटों ने मंथन शुरू कर दिया है। इस बीच, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कटाक्ष करते हुए एक GIF शेयर किया। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा, “और आपस में ही लड़ो”, जो साफ तौर पर भारत गठबंधन में मौजूद मतभेदों की ओर इशारा करता है।

उमर अब्दुल्ला वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री हैं और इससे पहले 2009 से 2014 तक इस पद पर रह चुके हैं। वे जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष हैं, जबकि उनके पिता फारूक अब्दुल्ला अभी भी पार्टी के अध्यक्ष हैं। उमर अब्दुल्ला 1998 से 2009 तक श्रीनगर लोकसभा सीट से सांसद भी रहे हैं और विदेश राज्य मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। उन्हें भारतीय राजनीति में भारत गठबंधन को एकजुट करने का समर्थक माना जाता है।

अगर बीजेपी बहुमत हासिल करती है तो यह आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि पिछले कुछ चुनावों में अरविंद केजरीवाल की पार्टी दिल्ली की राजनीति में मजबूत स्थिति में रही है।

अब देखना होगा कि क्या बीजेपी अंतिम नतीजों में अपनी बढ़त बरकरार रख पाती है या फिर आप अप्रत्याशित उलटफेर करने में कामयाब हो पाती है। वहीं, कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन विपक्षी राजनीति को लेकर नए सवाल खड़े कर सकता है।

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