Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कई क्षत्रपों का राजनीतिक भविष्य दांव पर ?

बीएस राय: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव राज्य की राजनीति में नई सरगर्मी लेकर आए हैं। ये चुनाव चार बड़े नेताओं- शरद पवार, अजित पवार, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं। चुनाव आयोग ने जहां शिंदे और अजित पवार के गुटों को शिवसेना और एनसीपी का असली वारिस माना है, वहीं शरद पवार और उद्धव ठाकरे अपनी-अपनी प्रतिष्ठा बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की असली विरासत को लेकर शरद पवार और अजित पवार के बीच की लड़ाई अब विधानसभा चुनाव तक पहुंच गई है। लोकसभा चुनाव में शरद पवार ने अपने गुट को मजबूत किया, जबकि अजित पवार को करारी हार का सामना करना पड़ा। इस बार अजित पवार वापसी की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन शरद पवार ने अपनी ताकत पश्चिमी महाराष्ट्र के अपने गढ़ में केंद्रित कर रखी है। दूसरी ओर, शिवसेना के उद्धव और शिंदे गुटों के बीच ‘असली शिवसेना’ की पहचान को लेकर चुनावी संघर्ष जारी है।
चुनाव आयोग ने जहां शिंदे गुट को शिवसेना का असली वारिस माना है, वहीं उद्धव ठाकरे ने चुनाव प्रचार के दौरान जनता को यह याद दिलाने की कोशिश की है कि उनकी पार्टी ने सालों तक मुंबई और महाराष्ट्र की सेवा की है। चुनाव में शिवसेना और एनसीपी के दोनों गुट कई सीटों पर सीधी टक्कर दे रहे हैं। शिवसेना के शिंदे और उद्धव गुट 50 सीटों पर आमने-सामने हैं, जबकि एनसीपी के शरद और अजित गुट 37 सीटों पर एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं।
महायुति (भाजपा-शिंदे-अजित गुट) और महा विकास अघाड़ी (कांग्रेस-शरद पवार-उद्धव गुट) के गठबंधन ने चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा 149 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि शिंदे गुट 81 और अजित गुट 59 सीटों पर किस्मत आजमा रहा है। वहीं, कांग्रेस 101, शिवसेना (यूबीटी) 95 और एनसीपी (एसपी) 86 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
शिवसेना के दो गुटों के बीच वर्चस्व की लड़ाई मुंबई में सबसे दिलचस्प होगी। आर्थिक राजधानी पर पहले अविभाजित शिवसेना का दबदबा था, लेकिन अब उद्धव और शिंदे गुट के बीच सीधा मुकाबला है। पवार परिवार का गढ़ माना जाने वाला पश्चिमी महाराष्ट्र इस बार भी राजनीतिक लड़ाई का केंद्र है।
शरद पवार ने अजित पवार और उनके गुट को ‘बागी’ करार दिया है और मतदाताओं से उनके खिलाफ वोट देने की अपील की है। अजित पवार ने इस क्षेत्र में भावनात्मक अपील से परहेज किया है और विकास और स्थिरता के एजेंडे पर ध्यान केंद्रित किया है।
लोकसभा चुनाव में एनसीपी (सपा) ने 8 और शिवसेना (यूबीटी) ने 9 सीटें जीतीं, लेकिन विधानसभा चुनाव का स्वरूप और मुद्दे अलग हैं। इस बार छोटे दलों- एआईएमआईएम, बीएसपी और समाजवादी पार्टी की भूमिका भी अहम होगी। ये दल कुछ क्षेत्रों में वोट काटकर बड़े दलों के समीकरण बिगाड़ सकते हैं।
इन चुनावों के नतीजे न केवल महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा तय करेंगे, बल्कि चार प्रमुख नेताओं- शरद पवार, अजित पवार, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के राजनीतिक भविष्य पर भी गहरा असर डालेंगे। अगर अजित पवार और शिंदे के गुट को बड़ी जीत मिलती है, तो इससे उनकी स्थिति मजबूत होगी। वहीं, शरद पवार और उद्धव ठाकरे की हार का मतलब होगा उनकी पार्टियों की साख पर सवाल उठना। इस बार के विधानसभा चुनाव न केवल राजनीतिक परिदृश्य बदल सकते हैं, बल्कि महाराष्ट्र की जनता के बीच असली नेता की पहचान भी तय करेंगे।