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‘बटेंगे तो कटेंगे’ के जवाब में “न बंटेंगे न कटेंगे, एक हैं और एक रहेंगे”

बीएस राय: उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर 20 नवंबर को उपचुनाव होना है। बीजेपी के बटेंगे तो कटेंगे के जवाब में अब सपा ने नया नारा दिया है। इसको लेकर सपा के मुख्यालय पर अब एक नया पोस्टर जारी कर नया नारा दिया गया है। यूपी उपचुनाव से पहले सपा के ‘एकता’ पोस्टर ने जुबानी जंग को हवा दे दी है। सपा ने भाजपा के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे का मुकाबला राहुल गांधी और अखिलेश यादव की एकता के नारे से किया, जिसमें यूपी उपचुनाव से पहले जातिगत मुद्दों पर जोर दिया गया।

‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे को लेकर चल रही जुबानी जंग में एक नया आयाम जुड़ गया है, जब समाजवादी पार्टी ने इसका मुकाबला करने के लिए एक नया नारा गढ़ा है। यहां सपा मुख्यालय में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की एक साथ तस्वीरें वाले पोस्टर लगाए गए हैं। इस पोस्टर में पूर्व में यूपी के जातिगत मुद्दों पर फिर से ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया गया है।

“न बंटेंगे न कटेंगे, एक हैं और एक रहेंगे” (हम न बंटेंगे, न टूटेंगे। हम एकजुट हैं और ऐसे ही रहेंगे), सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तस्वीरों वाली एक होर्डिंग पर लिखा है। सपा की होर्डिंग में आगे लिखा है “बटेंगे तो गैस सिलेंडर 1200 में मिलेगा। एक होंगे तो 400 रुपये में मिलेगा” (अगर हम बंट गए तो एलपीजी सिलेंडर 1200 रुपये में मिलेगा और अगर हम एकजुट हुए तो 400 रुपये में मिलेगा)। एक अन्य होर्डिंग में लिखा था, “गंगा-जमुना तहजीब को न ही बांटने देंगे, न ही समाज की एकता को काटने देंगे” (हम न तो किसी को गंगा-जमुनी संस्कृति को बांटने देंगे, न ही किसी को समाज में एकता को बांटने देंगे)।

इस होर्डिंग के शीर्ष पर एक नारा “पीडीए की होगी जीत- एकता की होगी जीत” प्रदर्शित किया गया है। पीडीए वह नारा है जिसे सपा ने पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को अपने बैनर तले उत्तर प्रदेश जीतने के लिए दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जाति जनगणना और भाजपा की राजनीति के तरीके का मुकाबला करने के लिए आरक्षण में वृद्धि के लिए इंडिया ब्लॉक के आह्वान के बीच बहुसंख्यक समुदाय को एकजुट करने की आवश्यकता पर जोर देने के लिए “बटेंगे तो कटेंगे” का नारा दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘एक हैं तो सुरक्षित हैं’ का नारा दिया है, जबकि आरएसएस के दत्तात्रेय होसबोले ने भी सीएम के विचारों का समर्थन किया है और राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा है कि राहुल गांधी ने ‘मोहब्बत की दुकान’ की बात की, लेकिन आरएसएस से दूर रहे।

इस बीच, रायबरेली के सांसद राहुल गांधी ने रायबरेली में प्रशासन में जातिगत असंतुलन के बारे में बोलकर विवाद खड़ा कर दिया है। बुधवार को नागपुर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए राहुल गांधी ने रायबरेली में जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) की बैठक में भाग लेने के लिए मंगलवार को अपने दौरे का जिक्र किया और कहा, “मैंने अधिकारियों का परिचय मांगा। मुझे दलित या ओबीसी अधिकारी का नाम नहीं मिला। मैंने अपने सचिव से सभी अधिकारियों की सूची मंगवाने को कहा, ताकि पता चल सके कि इनमें से कितने अधिकारी ओबीसी, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक हैं।”

राहुल गांधी ने कहा कि प्रथम दृष्टया उन्होंने पाया कि 80 प्रतिशत अधिकारी एक या दो जातियों से हैं। उन्होंने अपनी बात रखने के लिए प्रमुख अस्पतालों और निजी क्षेत्र की कंपनियों का हवाला दिया कि पिछड़े वर्गों, आदिवासियों और दलित समुदायों से आने वाले लोग कहीं भी महत्वपूर्ण पदों पर नहीं हैं। हालांकि, राहुल गांधी की टिप्पणियों पर भाजपा की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई।

उत्तर प्रदेश के मंत्री दिनेश सिंह ने राहुल गांधी की टिप्पणियों का विरोध करते हुए कहा कि वह रायबरेली की दिशा बैठक में मौजूद थे और वहां मौजूद अधिकारी सभी समुदायों से थे। उन्होंने दिशा बैठक में शामिल होने वाले मनोनीत सदस्यों की सूची जारी की और कहा कि राहुल गांधी छह सामान्य श्रेणी के पदों पर वंचित वर्गों के प्रतिनिधियों को मनोनीत कर सकते थे (तीन अन्य मनोनीत आरक्षित श्रेणी से होने चाहिए)। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने ऐसा नहीं किया और सामान्य श्रेणी के पदों पर मनोनीत लोगों में से केवल दो ही आरक्षित श्रेणी से थे। भाजपा से जुड़े समाजवादी पार्टी के विधायक मनोज पांडे ने भी राहुल गांधी के इस बयान का खंडन किया।

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