21 सितंबर से चलेगी सामान्य बहस

General debate will run from September 21

नई दिल्ली (शाश्वत तिवारी) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका की यात्रा के दौरान 25 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित करेंगे। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक विशेष साक्षात्कार में इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि इस दौरान भारत आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, वैक्सीन के लिए न्यायसंगत और सस्ती पहुंच, इंडो-पैसिफिक और संयुक्त राष्ट्र सुधार जैसे वैश्विक मुद्दों को मजबूती से उठाएगा।

राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने बताया कि कोविड-19 महामारी और इसके मानवीय प्रभाव के अलावा, इस सत्र के उच्च-स्तरीय खंड पर हावी होने की संभावना वाले अन्य मुद्दों में वैश्विक आर्थिक मंदी, आतंकवाद और संबंधित मुद्दे, जलवायु परिवर्तन, मध्य पूर्व और अफ्रीका में चल रहे संघर्ष, अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रम और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों जैसे मु्द्दे शामिल हैं।

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा का 76वां सत्र 14 सितंबर को शुरू हुआ और निवर्तमान अध्यक्ष वोल्कन बोज़कीर ने शाहिद को महासभा के अध्यक्ष का कार्यभार सौंपा। 59 वर्षीय शाहिद को इस साल सात जुलाई को महासभा के 76वें सत्र का अध्यक्ष चुना गया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा का 76वां सत्र मंगलवार को शुरू हुआ और निवर्तमान अध्यक्ष वोल्कन बोज़कीर ने शाहिद को महासभा के अध्यक्ष का कार्यभार सौंपा। 59 वर्षीय शाहिद को इस साल सात जुलाई को महासभा के 76वें सत्र का अध्यक्ष चुना गया था।

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 76वें सत्र के उच्च स्तरीय सप्ताह में सामान्य बहस 21 सितंबर से चलेगी, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन मंगलवार (21 सितंबर) को दुनिया के नेताओं को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी 25 सितंबर को आम बहस को संबोधित करेंगे।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष का गर्मजोशी से किया स्वागत:

राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने पीटीआइ से कहा कि उन्होंने शाहिद का संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष के तौर पर गर्मजोशी से स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि भारत उनके कार्यकाल में उनका सहोयग करने को उत्सुक है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने 76वें सत्र के आगाज़ पर अपनी टिप्पणी में कहा था कि दुनिया आज जिन चुनौतियों और विभाजनों का सामना कर रही है, वे प्रकृति निर्मित नहीं हैं, बल्कि मानव निर्मित हैं।

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