अफगानिस्तान में सत्ता को लेकर संघर्ष, तालिबान में फूट
काबुल। अफगानिस्तान में सत्ता को लेकर संघर्ष तेज हो गया है। इस बार संघर्ष आतंरिक है जो तालिबान और उसके समर्थकों के बीच जारी है।
जानकारी के अनुसार तालिबान और हक्कानी नेटवर्क आमने-सामने आ गए हैं। इन दोनों के बीच गोलीबारी भी हुई है, जिसमें तालिबान के दूसरे नंबर के नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को गोली लगी है और पाकिस्तान में उनका इलाज चल रहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक आतंकी संगठनों में सत्ता के लिए चल रहे संघर्ष में बीच बचाव करने के लिए पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रमुख फैज हामिद काबुल पहुंचे हैं।
वहीं पेंटागन के पूर्व अधिकारी रहे सुरक्षा मामलों के सलाहकार माइकल रुबिन के मुताबिक हक्कानी नेटवर्क समेत तालिबान के विभिन्न धड़ों ने हिबातुल्ला अखुंदजादा को अपना नेता मानने से भी इनकार कर दिया है। जबकि तालिबान ने दो दिन पहले ही कहा था कि अखुंदजादा इस्लामिक अमीरात के सर्वोच्च नेता होंगे और उनके मातहत ही नई सरकार काम करेगी।
रुबिन कहते हैं कि तालिबान ने पहले तीन सितंबर को नई सरकार के गठन की घोषणा की थी परंतु, अभी तक गठन की घोषणा नहीं की जा सकी है। देरी की वजह सरकार में हिस्सेदारी को लेकर विभिन्न धड़ों के बीच गंभीर मतभेद बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन मतभेदों को सुलझाना आईएसआई प्रमुख के लिए भी आसान नहीं होगा, क्योंकि क्वेटा शूरा हक्कानी नेटवर्क से अलग है। वहीं हक्कानी नेटवर्क नार्दर्न तालिबान से अलग है।
इधर तालिबान ने एक बार फिर कहा है कि जल्द ही नई सरकार का गठन कर दिया जाएगा। तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य अनामुल्ला समांगनी ने रविवार को फिर कहा कि जल्द ही एक समावेशी सरकार की घोषणा की जाएगी, लेकिन समांगनी ने भावी सरकार की रूपरेखा के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी।
यह भी कहा जा रहा है कि शनिवार को अचानक काबुल पहुंचे आईएसआई प्रमुख हामिद का मुख्य मकसद हक्कानी नेटवर्क की अगुआई में सरकार बनवाना है। अफगानिस्तान की पूर्व सांसद मरियम सोलेमानखिल ने कहा था कि हामिद यह सुनिश्चित करने काबुल आएं हैं कि अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व में अफगानिस्तान में सरकार नहीं बनने पाए।
मरियम ने ट्वीट कर कहा कि जहां तक उन्हें पता है कि हामिद हक्कानी के नेतृत्व में सरकार बनवाने आए हैं। हक्कानी नेटवर्क आईएसआई की कठपुतली है।