सिद्धार्थनगर : मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिद्धार्थनगर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। उन्होंने कृषि उत्पादन मण्डी समिति डुमरियांगज तथा किसान इण्टर कॉलेज, उसका बाजार, नौगढ़ में स्थापित बाढ़ राहत केन्द्र पहंुचकर बाढ़ प्रभावित परिवारों को राहत सामग्री वितरित की। उन्होंने बाढ़ प्रभावितों से संवाद स्थापित करते हुए प्रशासन द्वारा उपलब्ध करायी जा रही राहत का फीडबैक प्राप्त किया।
मीडिया प्रतिनिधियों से संवाद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 15 से 20 जनपद बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे हैं। इन जनपदों के लगभग 200 गांव और लगभग 02 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। 400 ऐसी ग्राम पंचायते हैं, जहां पर फसलों को भी नुकसान पहुंचा है। जनपद सिद्धार्थनगर की 05 तहसीलें-इटवा, शोहरतगढ़, डुमरियागंज, बांसी एवं नौगढ़ बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें डुमरियागंज और नौगढ़ तहसीलें सर्वाधिक प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ से पीड़ित सभी परिवारों को बचाव व राहत कार्य के लिए प्रदेश सरकार द्वारा जिला प्रशासन को निर्देशित किया गया है। कन्ट्रोल रूम के माध्यम से एक-एक गतिविधि पर नजर रखने एवं बाढ़ चौकियांे के माध्यम से प्रत्येक बाढ़ पीड़ित परिवार को समय से राहत पहुंचाने के कार्य किये जा रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा पर्याप्त मात्रा में धनराशि व संसाधन जनपदों को उपलब्ध कराये गये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनपद सिद्धार्थनगर में राप्ती, बूढ़ी राप्ती, पूर्णा नदी व अन्य नदियांें के कारण प्रत्येक वर्ष बाढ़ आती है। जनपद में प्रदेश सरकार द्वारा बाढ़ से राहत एवं बचाव के लिए तटबन्धों की मरम्मत, पुलों का निर्माण एवं अन्य कार्य समय से किये गये। सभी 11 कार्यों को पूरा करते हुए समयबद्ध ढंग से आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया है। इन कार्यों के द्वारा बड़े पैमाने पर जन व धन की हानियों को रोकने में मदद मिली है। परन्तु पिछले 12 से 15 दिनों तक लगातार बारिश होने के कारण एवं नेपाल से सटे जनपद होने एवं नेपाल में भारी बरसात के कारण सिद्धार्थनगर जनपद में भारी जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी। राप्ती, नदी खतरे के निशान से लगभग 02 मीटर ऊपर बह रही है। ऐसे ही बूढ़ी राप्ती, पूर्णा नदी और अन्य छोटी-बड़ी नदियों में जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर होने के कारण एक बड़ी आबादी बाढ़ की चपेट में आयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत व बचाव की व्यवस्था सुनिश्चित की है। बाढ़ प्रभावित जनपदों में एन0डी0आर0एफ0, एस0डी0आर0एफ0 एवं पी0ए0सी0 फ्लड यूनिट पहले से तैनात की गई हैं, जो बचाव व राहत कार्यों में अपना योगदान दे रही हैं। जनपद की डुमरियागंज और नौगढ़ तहसीलों में क्रमशः 75 से 80 हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। बाढ़ प्रभावित इन सभी परिवारों को पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है। इसमें 10 किलो चावल, 10 किलो आटा, 02 किलो अरहर दाल, 10 किलो आलू, नमक, हल्दी, मिर्च, मसाला, धनिया, रिफाइन्ड तेल, लाई, चना, गुड़, मोमबत्ती, दियासलाई उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है। बाढ़ पीड़ित परिवारों को छाता या बरसाती भी उपलब्ध करवायी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ से प्रभावित परिवारों को कम्युनिटी किचन के माध्यम से प्रत्येक जनपद में शुद्ध भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे कोई इस आपदा मंे भूखा न रहे। पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग को पूरी तरह एलर्ट करते हुए वर्तमान मंे जलजमाव व बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में क्लोरिन की टैबलेट उपलब्ध करायी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ की आपदा में सांप, बिच्छू एवं अन्य जंगली जानवरों के साथ कुत्तों के काटने की शिकायतें आती है। इसको ध्यान मंे रखते हुए प्रत्येक जनपद में पर्याप्त मात्रा में एन्टी स्नेक वेनम, एन्टी रेबीज वैक्सीन उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने कहा कि बाढ़ से जल जमाव के कारण डायरिया व हैजा जैसी अन्य तमाम समस्याएं एवं शिकायतें पैदा होती हैं। इसके लिए सरकार द्वारा ओ0आर0एस0 पैकेट के वितरण की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ पीड़ितों के प्रति हमारी बड़ी संवेदना है। हमारे जनप्रतिनिधिगण यहां पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत व बचाव कार्यों में प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने सभी बाढ़ पीड़ितों को आश्वस्त करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार एवं पूरा प्रशासन आपके साथ खड़ा है। प्रत्येक बाढ़ पीड़ित को हर सम्भव मदद प्रदान की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ के बाद जल एवं विषाणु जनित बीमारियों का खतरा बना रहता है। इसको ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा 05 से 12 सितम्बर के बीच स्वच्छता, सैनिटाइजेशन एवं फॉगिंग का एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, पंचायतीराज, बाल विकास एवं महिला कल्याण विभाग इसमें सहयोग करेंगे। स्वच्छता एवं सैनिटाइजेशन अभियान के माध्यम से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के बारे में जागरूकता प्रदान की जाएगी। जिससे इंसेफ्लाइटिस, डेंगू, मलेरिया जैसी तमाम बीमारियों के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक नागरिक का जीवन हमारे लिए अमूल्य है। उसे बचाने के लिए राहत और बचाव कार्य को युद्ध स्तर पर आगे बढ़ाते हुए सम्भावित बीमारियों से बचाव के लिए अभी से प्रत्येक स्तर पर तैयारी प्रारम्भ कर दी गई है। यहां पर सभी बचाव कार्यक्रम संतोषजनक चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ राहत शिविर में आये पीड़ितों को बाढ़ के पश्चात उनकों घरों तक प्रशासन द्वारा सुरक्षित पहंुचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी पीड़ित का मकान ध्वस्त होने की स्थिति में उसे तत्काल 95 हजार रुपए की सहायता राशि प्रदान की जा रही है। जिन पीड़ित परिवारों के मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं, उन्हें तत्काल अनुमन्य राशि उपलब्ध करवाई जा रही है। जिनके मकान बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं या नदी की धारा में विलीन हो चुके हैं, उन्हें भूमि का पट्टा आवंटित करने के साथ ही मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत एक-एक आवास की सुविधा प्रदान की जाएगी। जिससे कोई भी बाढ़ पीड़ित घर के बगैर न रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर बाढ़ की आपदा में दुर्भाग्य से पानी में डूबने, किसी हिंसक जानवर या सांप के काटने से किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो तत्काल 04 लाख रुपए की सहायता राशि उसके आश्रितों को दी जा रही है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फसलों में जो नुकसान हुआ है, उसका सर्वे कराकर उसकी क्षतिपूर्ति धनराशि देने हेतु प्रशासन को निर्देश दिये गये हैं।
इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जय प्रताप सिंह, बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 सतीश चन्द्र द्विवेदी सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।