देव भाषा संस्कृत की मुरीद हो रही है दुनिया

देव भाषा संस्कृत की मुरीद हो रही है दुनिया

नई दिल्ली (शाश्वत तिवारी) । देव भाषा संस्कृत की मुरीद पूरी दुनिया हो रही है। इसका जिक्र रविवार को अगस्त माह की अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। इस दौरान उन्होंने कुछ ऐसे लोगों का जिक्र किया, जो विदेशों में संस्कृत पढ़ाने का प्रेरक कार्य कर रहे हैं। यही नहीं प्रधानमंत्री मोदी ने एक हैशटैग सिलिब्रेट संस्कृत (#CelebratingSanskrit) देते हुए लोगों से यह अपील भी की कि संस्कृत के प्रचार प्रसार में जुटे ऐसे किसी भी व्यक्ति जानकारी को सोशल मीडिया में साझा करने की अपील भी की।

‘मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संस्कृत अपने विचारों, अपने साहित्य के माध्यम से ये ज्ञान विज्ञान और राष्ट्र की एकता का भी पोषण करती है, उसे मजबूत करती है। संस्कृत साहित्य में मानवता और ज्ञान का ऐसा ही दिव्य दर्शन है जो किसी को भी आकर्षित कर सकता है। उन्होंने आयरलैंड के एक शिक्षक रटगर कोट्रेनहॉर्स्ट का जिक्र किया जो वहां बच्चों को संस्कृत पढ़ाते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि हमारे यहां पूरब में भारत और थाईलैंड के बीच सांस्कृतिक संबंधों की मजबूती में संस्कृत भाषा की भी एक अहम भूमिका है। उन्होंने डॉo चिरापत प्रपंडविद्या और डॉo कुसुमा रक्षामणि के विषय में जानकारी देते हैं बताया कि ये दोनों थाईलैंड में संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। प्रधानंत्री मोदी ने बताया कि दोनों विद्वानों ने थाई और संस्कृत भाषा में तुलनात्मक साहित्य की रचना भी की है।

प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के प्रोफेसर बोरिस जाखरिन का जिक्र करते हुए कहा कि वह मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी में संस्कृत पढ़ाते हैं और उन्होंने कई शोध पत्र और पुस्तकें प्रकाशित की हैं। इसके साथ ही प्रोफेसर जाखरिन ने कई पुस्तकों का संस्कृत से रुसी भाषा में अनुवाद भी किया है। इसी तरह उन्होंने इसी तरह सिडनी संस्कृत स्कूल, ऑस्ट्रेलिया के बारे में बताते हुए कहा कि यह उन प्रमुख संस्थानों में से एक है, जहां विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा पढ़ाई जाती है। ये स्कूल बच्चों के लिए संस्कृत व्याकरण कैम्प, संस्कृत नाटक और संस्कृत दिवस जैसे कार्यक्रमों का भी आयोजन भी करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हाल के दिनों में संस्कृत को लेकर जो प्रयासों हुए हैं, उनसे संस्कृत को लेकर एक नई जागरूकता आई है। अब समय है कि इस दिशा में हम अपने प्रयास और बढाएं। हमारी विरासत को संजोना, उसको संभालना, नई पीढ़ी को देना ये हम सब का कर्तव्य है और भावी पीढ़ियों का उस पर हक भी है। अब समय है इन कामों के लिए भी सबका प्रयास ज्यादा बढ़े।

विदेश मंत्रालय ने मनाया संस्कृत भाषा सप्ताह:

विदेश मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) दुनिया भर में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। परिषद ने बीते महीने 22 अगस्त को कई देशों में संस्कृत दिवस का आयोजन किया था। इसके अलावा विदेशों में मौजूद भारतीय दूतावासों ने 19 अगस्त से 25 अगस्त तक संस्कृत सप्ताह भी आयोजित किया। इस दौरान विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए गए थे।

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