मातृभाषा में लिया गया ज्ञान ही सर्वश्रेष्ठ : प्रो. भूषण पटवर्धन

दो दिवसीय सम्मेलन के समापन सत्र में बोले आईसीएसएसआर के अध्यक्ष

मातृभाषा में लिया गया ज्ञान ही सर्वश्रेष्ठ : प्रो. भूषण पटवर्धन

नई दिल्ली। ”भारत की विभिन्न भारतीय भाषाओं में ज्ञान का भंडार छिपा हुआ है। अगर विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में ज्ञान लेंगे, तो उनका संपूर्ण विकास संभव हो पाएगा।” यह विचार भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष प्रो. भूषण पटवर्धन ने वर्ल्ड जर्नलिज्म एजुकेशन काउंसिल, भारतीय जन संचार संस्थान और यूनेस्को *द्वारा *’भारत में पत्रकारिता शिक्षा : मुद्दे और चुनौतियां’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के समापन सत्र में व्यक्त किए। आयोजन में हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के चेयरमैन प्रो. बृजकिशोर कुठियाला, वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ. संजीव भानावत, महात्मा गांधी मिशन विश्वविद्यालय, औरंगाबाद के पूर्व कुलपति डॉ. सुधीर गवाहने, आईआईएमसी ढेंकनाल के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. मृणाल चटर्जी, हैदराबाद विश्वविद्यालय से डॉ. कंचन के. मलिक एवं पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय से डॉ. रुबल कनोजिया ने भी हिस्सा लिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. पटवर्धन ने ‘भारतीय भाषाई पत्रकारिता एवं मीडिया शिक्षा का विकास’ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति नए भारत के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। भारत सरकार ने इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाए हैं कि बच्चे अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करें।

भारतीय परंपरा में लोक संवाद का जिक्र करते हुए हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के चेयरमैन प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि आज भारत और इंडिया के लोगों के बीच में भाषा का जो अंतर है, वह मीडिया में भी दिखाई देता है। इसे दूर करने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर महात्मा गांधी मिशन विश्वविद्यालय, औरंगाबाद के पूर्व कुलपति डॉ. सुधीर गवाहने ने कहा कि भाषाई पत्रकारिता ही मुख्यधारा की पत्रकारिता है। शिक्षा प्रदान करने के माध्यम के रूप में मातृभाषा को बढ़ावा देने की पहल सरकार की दूरदर्शिता को दिखाती है।

इससे पूर्व कार्यक्रम के प्रथम सत्र में ‘डिजिटल युग में पत्रकारिता शिक्षा’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में आईसीसीएसआर फेलो डॉ. उषा रानी नारायण, गुरु जम्भेश्वर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार से डॉ. उमेश आर्य, सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय, पुणे से डॉ. उज्जवला सुनील बर्वे, सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया एंड कम्युनिकेशन की निदेशक डॉ. रुचि खेर जग्गी, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय से डॉ. देवव्रत सिंह, अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई से डॉ. एस. अरुलचेलवन, आईआईएमसी के हिंदी पत्रकारिता विभाग के पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. आनंद प्रधान, सुश्री रोमा एवं सुश्री अंजुलिका घोषाल ने हिस्सा लिया।

सम्मेलन के दूसरे सत्र में ‘मीडिया क्षेत्र में अनुसंधान की आवश्यकता’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस सत्र में वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ. गीता बामजेई, तेजपुर विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ. सुनील कांता बेहरा, जामिया मिलिया इस्लामिया से डॉ. शोहिनी घोष, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से डॉ. मनुकोंडा रवींद्रनाथ, आईआईएमसी के संचार शोध विभाग की प्रमुख डॉ. शाश्वत गोस्वामी, न्यू मीडिया विभाग की प्रमुख डॉ. अनुभूति यादव, एमिटी स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन, ग्वालियर से डॉ. सुमित नरूला, डॉ. उमा शंकर पांडेय एवं डॉ. अनन्या रॉय ने अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम के तीसरे सत्र में ‘ऑनलाइन एजुकेशन की चुनौतियां एवं संभावनाएं’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय, मुंबई से डॉ. मीरा के. देसाई, पंजाब यूनिवर्सिटी से डॉ. अर्चना आर. सिंह, मुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशंस, अहमदाबाद से डॉ. मनीषा पाठक शेलत, मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन से डॉ. पद्मा रानी, आईआईएमसी से डॉ. सुनेत्रा सेन नारायण, मैसूर विश्वविद्यालय से डॉ. एम.एस. सपना, कमला नेहरू कॉलेज, नई दिल्ली से डॉ. ज्योति राघवन, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से डॉ. कुलवीन त्रेहन एवं क्राइस्ट यूनिवर्सिटी से डॉ. अल्बर्ट अब्राहम ने भाग लिया।

कार्यक्रम के पहले दिन ‘भारत में पत्रकारिता शिक्षा के 100 वर्ष एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’, ‘हाइब्रिड न्यूजरूम’, ‘भारत में पत्रकारिता शिक्षा का बहुआयामी दृष्टिकोण’ एवं ‘पत्रकारिता शिक्षा का उपनिवेशीकरण’ विषय पर चर्चा का आयोजन किया गया। दो दिन चले इस सम्मेलन में विश्व के प्रख्यात पत्रकारों एवं मीडिया शिक्षकों ने हिस्सा लिया।

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