जूनियर हॉकी विश्व कप : आखिरी 11 मिनट में कमाल, भारत ने जीता कांस्य पदक
मेयर राधाकृष्णन स्टेडियम में भारतीय जूनियर हॉकी टीम ने ऐसा रोमांच रचा जिसे लंबे समय तक भुलाया नहीं जाएगा। 2021 की विजेता अर्जेंटीना के खिलाफ कांस्य पदक के प्लेऑफ में भारत अंतिम 11 मिनट तक 0-2 से पीछे था, लेकिन फिर जो हुआ उसने पूरे स्टेडियम में नई जान फूंक दी।
दनादन चार गोल दागकर भारत ने मैच 4-2 से जीता और नौ साल बाद जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप में पदक हासिल किया। भारत ने 2001 (होबार्ट) और 2016 (लखनऊ) में खिताब जीते थे और पिछले दो संस्करणों में ब्रॉन्ज़ मुकाबला हारकर चौथे स्थान पर रहा था।
भारत की अविश्वसनीय वापसी के नायक रहे—अंकित पाल, मनमीत सिंह, शारदानंद तिवारी और अनमोल इक्का। अर्जेंटीना से निकोलस रौद्रिगेज और सैंटियागो फर्नांडिस ने गोल किए थे।

तीन क्वार्टर तक गोल करने के लिए जूझती भारतीय टीम चौथे क्वार्टर में अचानक बदल गई। 49वें मिनट में मिले पेनल्टी कॉर्नर ने भारत की वापसी की शुरुआत की, जब अंकित ने सटीक फ्लिक से पहला गोल दागा।
इसके सिर्फ तीन मिनट बाद एक और पेनल्टी कॉर्नर पर अनमोल इक्का का शॉट डिफ्लेक्ट होकर मनमीत की स्टिक से टकराया और सीधे गोल में जाकर स्कोर 2-2 कर दिया।
माहौल ऐसा बना कि मैच शूटआउट में जा सकता था, लेकिन आखिरी सीटी से ठीक तीन मिनट पहले भारत को निर्णायक पेनल्टी स्ट्रोक मिला। शारदानंद तिवारी ने बिना गलती किए इसे गोल में बदलकर टीम को पहली बार बढ़त दिलाई।
अर्जेंटीना ने तुरंत अगले मिनट में पेनल्टी कॉर्नर से बराबरी की कोशिश की, पर इस टूर्नामेंट के सबसे बड़े खोज साबित हो रहे गोलकीपर प्रिंसदीप सिंह ने शानदार बचाव किया। 58वें मिनट में भारत को एक और पेनल्टी कॉर्नर मिला और इस बार अनमोल इक्का ने अपनी सटीक स्लैप-हिट से विपक्ष की उम्मीदें पूरी तरह खत्म कर दीं।
लेकिन मैच का पूरा परिदृश्य ऐसा नहीं था। शुरुआत में ही अनमोल इक्का की गलती से अर्जेंटीना को पेनल्टी स्ट्रोक मिला और निकोलस रौद्रिगेज ने पांचवें मिनट में इसे गोल में बदल दिया। भारतीय टीम पहले क्वार्टर में उसी झटके से उबर नहीं पाई। आखिरी मिनट में अंकित पाल को बराबरी का मौका मिला था, लेकिन अजित यादव उस मूव को पूरा नहीं कर सके।
दूसरे क्वार्टर में भी भारत के हमलों में धार तो थी, पर फिनिशिंग की कमी साफ नजर आई। अर्शदीप के हवाई पास पर आमिर अली और बाद में दिलराज व अर्शदीप की कोशिशें कमजोर शॉट में बदलकर अर्जेंटीना के गोलकीपर पर आसान साबित हुईं। तीन मिनट बाद अजित का निशाना भी चूक गया और हाफ टाइम तक अर्जेंटीना 1-0 से आगे रहा।
दूसरे हाफ की शुरुआत भारत के लिए उम्मीद लेकर आई जब टीम को पहला पेनल्टी कॉर्नर मिला, लेकिन लगातार चार मौकों में से एक भी गोल में तब्दील नहीं हो सका।
चौथे प्रयास में अनमोल का सीधा फ्लिक पोस्ट से टकराकर बाहर निकल गया। इसी बीच अर्जेंटीना ने 40वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर से बढ़त दोगुनी करने की कोशिश की, पर प्रिंसदीप ने फिर शानदार बचाव किया। भारतीय डिफेंस उस राहत को संभाल नहीं पाया और 44वें मिनट में सैंटियागो फर्नांडिस ने दाएं ओर से चकमा देकर दूसरा गोल कर दिया।
तीसरे क्वार्टर के खत्म होने से ठीक पहले अर्जेंटीना की यह बढ़त भारत पर दबाव बढ़ा रही थी, लेकिन यही पल आगे चलकर भारत की ऐतिहासिक वापसी की पृष्ठभूमि बन गया। आखिरी 11 मिनट में चार गोल—और भारत ने ब्रॉन्ज़ अपने नाम किया।



