Trending

पूर्वी लद्दाख में सेना के लिए खोली गई 12 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर बनी श्योक टनल

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में 12 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर बनाई गई श्योक टनल रविवार को सेना के लिए खोल दी गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज इसका उद्घाटन किया, जिसके बाद पूर्वी लद्दाख के डेपसांग–डीबीओ सेक्टर तक भारतीय सेना की पहुंच अब ज्यादा तेज, सुरक्षित और सुगम हो जाएगी। भारी बर्फबारी में भी सैनिक, हथियार व लॉजिस्टिक मूवमेंट की गति कई गुना बढ़ेगी, जिससे संवेदनशील एलएसी क्षेत्रों में परिचालन तत्परता और मजबूत होगी।पूर्वी लद्दाख में श्‍योक नदी क्षेत्र के पास बनाई गई श्‍योक टनल रणनीतिक सुरंग है, जो दर्बुक-श्‍योक-दौलत बेग ओल्डी रोड को हर मौसम में जोड़ने के लिए बनाई गई है। यह 322 किलोमीटर लंबी दर्बुक-श्‍योक-दौलत बेग ओल्डी रोड का हिस्सा है, जो भारतीय सेना की सबसे रणनीतिक सप्लाई लाइनों में से एक है। यह सड़क चीन सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के बेहद करीब जाती है, इसलिए यह सुरंग सेना के लिए बेहद अहम है। पहाड़ों के ऊंचे दर्रे अक्सर सर्दियों में भारी बर्फबारी और हिमस्खलन की वजह से बंद हो जाते हैं, जिससे सैनिकों और सामान की आपूर्ति पर असर पड़ता है। नई श्‍योक टनल इस परेशानी को काफी हद तक दूर कर देगी।बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) के इस प्रोजेक्ट का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उद्घाटन करके पूर्वी लद्दाख में चीन के खिलाफ भारतीय सेना को बड़ी बढ़त दिलाई है। उन्होंने कहा कि अभी कुछ ही महीने पहले हमने देखा, जब पहलगाम के दुर्दांत आतंकी हमले का जवाब देते हुए हमारी सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। वैसे करने को तो हम बहुत कुछ कर सकते थे लेकिन हमारी सेनाओं ने पराक्रम के साथ-साथ धैर्य का भी परिचय देते हुए उतना ही किया, जितना आवश्यक था। इतना बड़ा ऑपरेशन इसलिए संभव हो पाया, क्योंकि हमारी कनेक्टिविटी मजबूत थी। हमारी सेनाओं के पास सही समय पर लॉजिस्टिक पहुंचाया जा सका। सीमा क्षेत्रों के साथ भी हमारी कनेक्टिविटी बनी रही, जिसने ऑपरेशन सिन्दूर को ऐतिहासिक सफलता दी।रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान हमारी सेनाओं और नागरिक प्रशासन के साथ सीमा क्षेत्रों के नागरिकों का सहयोग देखने को मिला, वह भी तारीफ करने के काबिल था। हमारा आपसी जुड़ाव ही हमें दुनिया में सबसे अलग पहचान दिलाता है। हमारा हमेशा यह प्रयास रहा है कि लद्दाख समेत जितने भी सीमा क्षेत्र हैं, उनके साथ हमारा संचार और अधिक मजबूत हो। अभी हाल ही में चाणक्य डिफेंस डॉयलाग के दौरान लद्दाख में 200 किलोवाट के ग्रीन हाइड्रोजन आधारित माइक्रोग्रिड पावर प्लांट का उद्घाटन किया गया, जो इस क्षेत्र के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों के लिए भी बहुत लाभकारी होगा।सीमा क्षेत्रों में बीआरओ के कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि सीमा क्षेत्रों में कनेक्टिविटी का बढ़ना सबको प्रभावित कर रहा है। आज हमारे जवान कठिन इलाकों में इसलिए मजबूती से खड़े हैं, क्योंकि उनके पास सड़कें, रियल-टाइम कम्युनिकेशन सिस्टम, सैटेलाइट सपोर्ट, सर्विलांस नेटवर्क और रसद संपर्क उपलब्ध है। सीमा पर तैनात जवान की जिंदगी का एक-एक मिनट, एक-एक सेकेंड बहुत महत्वपूर्ण होता है।इसलिए कनेक्टिविटी को सिर्फ नेटवर्क, ऑप्टिकल फाइबर, ड्रोन, रडार तक सीमित करके नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे सुरक्षा की रीढ़ के रूप में देखा जाना चाहिए। बॉर्डर एरिया में बनने वाली सड़कें सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, सशस्त्र बलों की गतिशीलता और आपदा प्रबंधन सबके लिए लाइफलाइन जैसी होती हैं। ——————–

Related Articles

Back to top button