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एनएचएआई ने केरल में एनएच-66 के सर्विस रोड धंसने के मामले में दोषियों पर की कड़ी कार्रवाई

नई दिल्ली : भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने केरल के कोल्लम जिले में एनएच-66 पर निर्माणाधीन राजमार्ग की दीवार ढहने और सर्विस रोड धंसने की घटना के बाद परियोजना के ठेकेदार और उसके मुख्य हिस्सेदारों को तीन साल के लिए प्रतिबंधित करते हुए आर्थिक दंड लगाया है। साथ ही परियोजना के स्वतंत्र अभियंता पर दो वर्ष के लिए प्रतिबंध लगाते हुए दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिकारियों को साइट से हटा दिया गया है।केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि घटना के तुरंत बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के विशेषज्ञों की टीम ने स्थल का निरीक्षण किया। प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार हादसे का कारण भू-तकनीकी जांच का अधूरा होना और नींव को मजबूत बनाने के लिए जरूरी तकनीकी उपायों की अनदेखी है।मंत्रालय ने बताया कि कोट्टियम के पास किलोमीटर 504.400 पर बने 22.9 मीटर लंबे अंडरपास के पास 9.4 मीटर ऊंचे कृत्रिम उत्थान पर गहरे हिस्से में कटाव के कारण ढांचा फेल होना और धारण क्षमता विफलता की वजह से यह दीवार ढही। रिपोर्ट में कहा गया है कि ठेकेदार ने न तो उचित भू-तकनीकी जांच की और न ही नींव को मजबूत बनाने के अनिवार्य उपाय पूरे किए, जिसके चलते यह दुर्घटना हुई।एनएचएआई ने घटना के बाद ठेकेदार, उसके हिस्सेदारों और स्वतंत्र अभियंता को एक महीने के लिए बोली प्रक्रिया से निलंबित कर दिया। साथ ही 5 दिसंबर को ही तीन वर्ष (ठेकेदार और हिस्सेदारों के लिए) तथा दो वर्ष (स्वतंत्र अभियंता के लिए) तक प्रतिबंध लगाने और आर्थिक दंड के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए गए। परियोजना प्रबंधक और स्वतंत्र अभियंता के निवासी अभियंता को भी तत्काल प्रभाव से हटाया गया है।एनएचएआई के अनुसार यह परियोजना कोल्लम–कदम्बट्टुकोनम मार्ग पर निर्माण, संचालन और संधारण मॉडल के तहत चल रही है। इसे मेसर्स शिवालया कंस्ट्रक्शन्स के सहयोग से आगे बढ़ाया जा रहा था। स्वतंत्र अभियंता के रूप में मेसर्स फीडबैक इंफ्रा और मेसर्स सत्रा सर्विसेज की संयुक्त टीम जिम्मेदारी निभा रही थी। परियोजना की निगरानी एनएचएआई के तिरुवनंतपुरम परियोजना क्रियान्वयन इकाई के परियोजना निदेशक डीपी साहू कर रहे थे।घटना की विस्तृत जांच के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जिसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के विशेषज्ञ डॉ. जिमी थॉमस और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पलक्कड़ के सिविल इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीश टीके शामिल हैं।

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