Trending

एशेज : क्रिकेट से परे, गौरव और विरासत की जीवित कहानी

बहुत कम खेल प्रतिस्पर्धाएँ ऐसी होती हैं जो खेल की सीमाओं से बाहर जाकर सांस्कृतिक पहचान और राष्ट्रीय गर्व का रूप ले लें। एशेज ऐसी ही एक विरासत है—एक ऐसी कहानी जो 1882 के व्यंग्यात्मक शोक संदेश से शुरू होकर आज ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की सामूहिक स्मृतियों में गहराई से बस चुकी है।

सदी से भी अधिक पुरानी यह प्रतिद्वंद्विता सिर्फ़ बल्ले और गेंद का खेल नहीं, बल्कि दो क्रिकेट संस्कृतियों का टकराव है। इसका नया अध्याय 21 नवंबर से पर्थ में शुरू होने वाली पाँच टेस्ट मैचों की श्रृंखला में लिखा जाएगा, जहाँ दोनों टीमें फिर उसी ऐतिहासिक गौरव की कहानी में नया रंग भरने उतरेंगी।

टेस्ट का रिश्ता इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1877 में शुरू हुआ था। लेकिन “एशेज” शब्द ने इस रिश्ते को एक अनोखी प्रतीकात्मकता दी।

साभार : गूगल

एमसीसी के अभिलेख बताते हैं कि अगस्त 1882 में ‘द स्पोर्टिंग टाइम्स’ में छपे एक व्यंग्यात्मक शोक लेख ने इंग्लिश क्रिकेट की “राख” को ऑस्ट्रेलिया ले जाने की बात कही—यहीं से इस प्रतिद्वंद्विता में भावनाओं का पहला विस्फोट हुआ।

इवो ब्लाई की शपथ, ऑस्ट्रेलिया का उनका दौरा और जीत के बाद मिला छोटा-सा टेराकोटा कलश…इन सबने मिलकर एशेज को एक खेल आयोजन से अधिक, एक प्रतीक बना दिया।

ब्लाई और उनकी भावी पत्नी की वही मुलाक़ात, परिवार में वर्षों तक सहेजकर रखा गया कलश और बाद में एमसीसी को सौंपा जाना—यह सब एशेज की उस विरासत का हिस्सा है जिसे खेल जगत श्रद्धा से देखता है।

इसके बाद की श्रृंखलाएँ इस इतिहास को और गहरा करती रहीं—1932-33 की बॉडीलाइन श्रृंखला, जिसने खेल की नैतिकता पर बहस छेड़ी; शेन वॉर्न की 1993 की “बॉल ऑफ़ द सेंचुरी,” जिसने एशेज को जादू और अविश्वास दोनों का रंग दिया।

आज स्थितियाँ बदल चुकी हैं। 2017 से एशेज ऑस्ट्रेलिया के कब्ज़े में है, और इंग्लैंड के सामने चुनौती सिर्फ़ सीरीज़ जीतने की नहीं, बल्कि अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः हासिल करने की भी है। 2011 से इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया की धरती पर एक भी टेस्ट नहीं जीता—यह आँकड़ा खुद इस प्रतिद्वंद्विता में तनाव और प्रतीक्षा को गहरा करता है।

नई श्रृंखला शुक्रवार से पर्थ में प्रारंभ होगी। गाबा में 4 दिसंबर से दिन-रात्रि टेस्ट, फिर 17 से 21 दिसंबर तक एडिलेड ओवल की मौन और अनुशासित शामें।

26 दिसंबर को मेलबर्न का ऐतिहासिक बॉक्सिंग डे टेस्ट, और अंत में 4 जनवरी से सिडनी—जहाँ अक्सर एशेज भावनाओं की चरम सीमा छूते देखी जाती है। इस बार भी एशेज सिर्फ़ क्रिकेट नहीं; यह इतिहास, भावनाओं, गौरव और सांस्कृतिक प्रतिस्पर्धा की एक जीवित कथा है—जो हर नई श्रृंखला के साथ और समृद्ध होती जाती है।

Related Articles

Back to top button