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जोधपुर में स्थापित होगा देश का पहला संयुक्त विधि एवं प्रौद्योगिकी केंद्र

जोधपुर : भारत में विधि और उभरती प्रौद्योगिकियों के बीच सेतु निर्माण के प्रयासों को एक नई दिशा देने के लिए जोधपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एनएलयू) ने एक समझौता ज्ञापन (एमआयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत जोधपुर में देश का पहला संयुक्त विधि एवं प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित किया जाएगा।समझौता ज्ञापन पर आईआईटी के निदेशक प्रो. (डॉ.) अविनाश कुमार अग्रवाल और एनएलयू की कुलपति प्रो. (डॉ.) हरप्रीत कौर ने हस्ताक्षर किये। दोनों संस्थान मिलकर ऐसे समकालीन विषयों पर कार्य करेंगे, जिसमें न्याय प्रणाली में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर सुरक्षा, डेटा संरक्षण, फिनटेक और मेडटेक विनियमन, तथा उभरती प्रौद्योगिकियों के नैतिक शासन शामिल है। आईआईटी-एनएलयू संयुक्त विधि एवं प्रौद्योगिकी केंद्र भारत का पहला स्थायी, सह-शासित शैक्षणिक केंद्र होगा, जिसे किसी विधि विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान संयुक्त रूप से संचालित करेंगे। यह केंद्र संयुक्त मास्टर्स, संयुक्त पीएचडी और कार्यकारी शिक्षा जैसे कार्यक्रम आरंभ करेगा, जो उच्च शिक्षा में बहुविषयक सहयोग का एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत करेगा।नवाचार आधारित शिक्षा और अनुसंधानसंयुक्त केंद्र, विधि, नीति और प्रौद्योगिकी के संगम पर कार्यरत अगली पीढ़ी के पेशेवरों के लिए नवोन्मेषी पाठ्यक्रम और कार्यक्रम तैयार करेगा। इनमें संयुक्त एकीकृत मास्टर और पीएचडी कार्यक्रम, संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम, संयुक्त मास्टर कार्यक्रम, तथा कार्यरत पेशेवरों के लिए अल्पकालिक डिप्लोमा और प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, केंद्र में संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं, नीति संवाद, शैक्षणिक आदान-प्रदान, तथा प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों और डिजिटल संसाधनों का साझा उपयोग भी किया जाएगा। अध्ययन के प्रमुख विषय भारतीय न्यायालयों में एआई की नैतिकता, डिजिटल शासन, डेटा गोपनीयता, और नवाचार के विधिक आयाम होंगे।तकनीक और कानून के बीच होगा संवादआईआईटी के निदेशक प्रो. (डॉ.) अविनाश कुमार अग्रवाल ने कहा कि नवाचार तब होता है जब भिन्न विचार रखने वाले लोग साथ आते हैं। हम तकनीक और कानून के बीच संवाद स्थापित कर, जिम्मेदार नवाचार के माध्यम से भारत की न्याय व्यवस्था को नया रूप देने का प्रयास कर रहे हैं। एनएलयू की कुलपति प्रो. (डॉ.) हरप्रीत कौर ने कहा कि यह सहयोग विधिक पारिस्थितिकी तंत्र में तकनीकी नेतृत्व की दिशा में ठोस कदम है। यह उद्योग, शिक्षा और नीति निर्माण के क्षेत्र में दीर्घकालिक प्रभाव डालेगा।———————–

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