आधार में बच्चों का अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट बढ़ाने के लिए यूआईडीएआई अपनाएगा व्यवहारिक तरीका
नई दिल्ली : भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) अब बच्चों के आधार में अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट (एमबीयू) को बढ़ावा देने के लिए व्यवहारिक विज्ञान का उपयोग करेगा। इसके लिए यूआईडीएआई ने रिसर्च संस्था बिहेवियरल इनसाइट्स लिमिटेड (बीआईटी) के साथ समझौता किया है। इस साझेदारी का उद्देश्य यह समझना है कि किस कारण से अभिभावक समय पर बच्चों का बायोमेट्रिक अपडेट नहीं कराते और किस तरह उन्हें इसके लिए प्रेरित किया जा सकता है।केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के अनुसार, यूआईडीएआई ने हाल ही में 5 वर्ष और 15 वर्ष की उम्र वाले बच्चों के लिए बायोमेट्रिक अपडेट को पूरी तरह निशुल्क कर दिया है। यह व्यवस्था 1 अक्टूबर से लागू है और एक वर्ष तक जारी रहेगी। इस निर्णय से लगभग 6 करोड़ बच्चों को लाभ मिलने की उम्मीद है। समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर यूआईडीएआई की उपमहानिदेशक तनुस्री देव बर्मा और बीआईटी के समूह मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि गुरुमूर्ति ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर यूआईडीएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भुवनेश कुमार भी मौजूद रहे।भुवनेश कुमार ने कहा कि जब तकनीक मानव व्यवहार से मेल खाती है तो डिजिटल पहचान केवल तकनीकी प्रक्रिया नहीं रहती बल्कि यह एक भरोसेमंद और सशक्त अनुभव बन जाती है। उन्होंने कहा कि इस समझौते से हम यही प्रभाव हासिल करना चाहते हैं।बीआईटी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेचल कॉयल ने कहा कि मानव व्यवहार को समझने पर आधारित यह पहल आधार अपडेट की दर को बढ़ाएगी और लाभार्थियों को सरकारी सेवाओं तक आसान पहुंच दिलाएगी। गौरतलब है कि आधार में बच्चों के बायोमेट्रिक विवरण, फिंगरप्रिंट, आईरिस और फोटो को पहली बार 5 वर्ष की आयु पर और दूसरी बार 15 वर्ष की आयु पर अपडेट करना अनिवार्य है। यूआईडीएआई लगातार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है कि यह अपडेट समय पर हो।



