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महिला क्रिकेट विश्व कप : सेमीफाइनल में भारत का ऑस्ट्रेलिया से महा मुकाबला

भारतीय महिला क्रिकेट टीम, जो भाग्य के सहारे अंतिम चार में जगह बनाने में सफल रही, गुरुवार को यहां महिला वनडे विश्व कप के दूसरे सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम का सामना करेगी। टीम की उम्मीदें कप्तान हरमनप्रीत कौर पर टिकी हैं, जो आठ साल पहले खेली गई अपनी जादुई पारी की तरह इस बार भी कमाल दिखाने की कोशिश करेंगी।

हरमनप्रीत की 2017 में इंग्लैंड के डर्बी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में 115 गेंदों में नाबाद 171 रन की पारी एक अहम क्षण था, जिसने महिला क्रिकेट को सुर्खियों में ला दिया था।

सात बार के विश्व विजेता ऑस्ट्रेलिया पर जीत से न केवल भारत का आत्मविश्वास बढ़ेगा बल्कि आईसीसी खिताब जीतने की उसकी उम्मीदों को भी पंख लग जाएंगे।

साभार : गूगल

भारत के प्रदर्शन में अब तक निरंतरता का अभाव रहा है और उसके पास ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को पराजित करने का यह सुनहरा मौका है लेकिन इसके लिए उसके खिलाड़ियों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। विश्व कप में भारतीय टीम का प्रदर्शन अभी तक उतार चढ़ाव वाला रहा है।

पहले दो मैच में जीत के बाद उसे लगातार तीन मैच में हार का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद उसने अच्छी वापसी की और सेमीफाइनल में जगह बनाने में सफल रही। लेकिन इस दौरान प्रतीका रावल चोटिल होकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई जो भारतीय टीम के लिए करारा झटका है क्योंकि यह सलामी बल्लेबाज अच्छी फॉर्म में चल रही थी।

अब गलती की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि भारत अब उन सभी प्रतिद्वंद्वियों के साथ सेमीफाइनल में है जिन्होंने लीग मुकाबलों में उसे पराजित किया था। मैदान पर उतरने से पहले भारत को अपनी टीम संयोजन को लेकर कुछ सबसे प्रासंगिक सवालों का सामना करना पड़ेगा।

बड़े शॉट लगाने वाली शेफाली वर्मा को टीम में शामिल करना आग में घी डालने जैसा है क्योंकि वह भारतीय योजना का हिस्सा नहीं थी और यही वजह थी कि वह भी रिजर्व खिलाड़ियों में शामिल नहीं थी।

उप-कप्तान स्मृति मंधाना के साथ उनका रिकॉर्ड (25 पारियों में 37.20 की औसत से 893 रन) रावल और मंधाना के सलामी जोड़ी के रूप में 23 पारियों में 78.21 की औसत से 1,799 रनों से कमतर दिखता है। क्या भारत को शेफाली को चुनना चाहिए, जिनकी आक्रामक शैली विरोधियों पर दबाव बना सकती है और मंधाना के शानदार फॉर्म की बराबरी कर सकती है।

या फिर उन्हें छठे गेंदबाज़ को शामिल करने के लिए हरलीन देओल को सलामी बल्लेबाज के रूप में उतारना चाहिए। भारतीय टीम प्रबंधन के लिए यह सबसे बड़ा सवाल है।

हरलीन ने सात मैचों में 75.11 की औसत से बिना किसी अर्धशतक के 169 रन बनाए हैं, जो आकर्षक नहीं लगते हैं लेकिन क्रीज पर टिके रहने की उनकी क्षमता भारत को शीर्ष पर मजबूती प्रदान कर सकती है और मंधाना को एक परिचित सहारा भी दे सकती है जो रावल दूसरे छोर से प्रदान करती हैं।

बेमौसम बारिश के पूर्वानुमान के बावजूद पिच बल्लेबाजी के लिए अनुकूल बनी हुई है और बड़े स्कोर का दबाव लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम को परेशानी में डाल सकता है। इसके अलावा यह भी बड़ा सवाल है कि क्या भारत को बाएं हाथ की स्पिनर राधा यादव को टीम में बनाए रखना चाहिए या नहीं क्योंकि वह एक कुशल क्षेत्र रक्षक हैं और पिछले मैच में उन्होंने अच्छी गेंदबाजी भी की थी। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि स्नेहा राणा अभी तक अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाई है।

हरमनप्रीत अभी तक बल्लेबाजी में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई है और वह निश्चित तौर पर 2017 की पारी से प्रेरणा लेना चाहेगी। भारत के लिए हालांकि मंधाना का प्रदर्शन बहुत मायने रखता है। उन्होंने अब तक इस टूर्नामेंट में 60.83 की औसत से 365 रन बनाए हैं, जिसमें एक शतक और दो अर्द्धशतक शामिल हैं।

ऑस्ट्रेलिया हर विभाग में मजबूत है। शायद ही कोई अन्य टीम हो जो उनके कौशल या दृढ़ता की बराबरी कर सके, लेकिन यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि टीम उस दिन कितना अच्छा खेल दिखाती है। ऑस्ट्रेलिया को इस बात का अच्छी तरह से एहसास होगा कि भारत उसके सामने कड़ी चुनौती पेश कर सकता है।

भारत: हरमनप्रीत कौर (कप्तान), स्मृति मंधाना (उप-कप्तान), उमा छेत्री (विकेटकीपर), ऋचा घोष (विकेटकीपर), हरलीन देयोल, शैफाली वर्मा, जेमिमा रोड्रिग्स, अमनजोत कौर, स्नेह राणा, दीप्ति शर्मा, क्रांति गौड़, अरुंधति रेड्डी, रेणुका सिंह ठाकुर, श्री चरणी, राधा यादव

ऑस्ट्रेलिया: एलिसा हीली (कप्तान और विकेटकीपर), ताहलिया मैकग्राथ (उपकप्तान), एलिस पेरी, बेथ मूनी (विकेटकीपर), फोबे लिचफील्ड, जॉर्जिया वोल, एशले गार्डनर, किम गर्थ, हीथर ग्राहम, अलाना किंग, सोफी मोलिनक्स, एनाबेल सदरलैंड, डार्सी ब्राउन, मेगन स्कुट, जॉर्जिया वेयरहैम

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