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भारत ने ‘#23for23’ पहल के साथ मनाया अंतरराष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस

राघवेंद्र प्रताप सिंह: भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय 23 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय स्नो लेपर्ड दिवस को ‘#23for23’ नामक एक अनूठी पहल के साथ मनाया, जिसमें देशभर के लोगों को हिम तेंदुआ (स्नो लेपर्ड) और उनके आवास संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए 23 मिनट तक शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस उत्सव का नेतृत्व किया और नागरिकों, संस्थानों और भारतीय सेना की इस रचनात्मक जागरूकता अभियान में भागीदारी की सराहना की।

पहली बार हुए स्नो लेपर्ड सर्वे में भारतीय हिमालय में 718 स्नो लेपर्ड दर्ज :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की संरक्षण सफलताओं पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि देश का स्नो लेपर्ड संरक्षण कार्यक्रम उत्साहजनक परिणाम दे रहा है। हाल ही में संपन्न हुए पहले स्नो लेपर्ड सर्वे में भारतीय हिमालय में 718 स्नो लेपर्ड दर्ज किए गए, जिनमें से अकेले लद्दाख में 477 स्नो लेपर्ड हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्नो लेपर्ड दिवस भारत की ग्लोबल स्नो लेपर्ड एंड इकोसिस्टम प्रोटेक्शन प्रोग्राम (GSLEP) के लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराता है और इस प्रतीकात्मक प्रजाति के दीर्घकालिक अस्तित्व के लिए वैज्ञानिक निगरानी, आवास संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी पर देश के निरंतर प्रयासों को दर्शाता है।

हिम तेंदुओं से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य :

23 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस मनाया जाता है, जिसकी घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2024 में की।

हिम तेंदुआ 12 देशों के ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है और इसकी वैश्विक संख्या केवल 2,710–3,380 के बीच है।

हिम तेंदुओं के समक्ष मुख्य खतरे हैं: आवास की हानि, शिकार की कमी, अवैध शिकार, जलवायु परिवर्तन और मानवीय दखल।

भारत में कुल 718 हिम तेंदुए, जिनमें से सबसे अधिक लद्दाख (477) में पाए जाते हैं।

हिम तेंदुओं के संरक्षण से एसडीजी लक्ष्यों जैसे स्वच्छ जल (एसडीजी 6), जलवायु कार्रवाई (एसडीजी 13), और भूमि जीवन (एसडीजी15) को बढ़ावा मिलता है।

हिम तेंदुओं को भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत शेड्यूल 1 प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है जिसे मारने या अवैध शिकार पर न्यूनतम 3 साल , अधिकतम 7 साल की सजा और 25 हज़ार का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

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