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वनस्पति तेल उत्पाद, उत्पादन और उपलब्धता विनियमन आदेश, 2011 में हुआ महत्वपूर्ण संशोधन

राघवेंद्र प्रताप सिंह: केंद्र ने वनस्पति तेल उत्पाद, उत्पादन और उपलब्धता विनियमन आदेश, 2011 में महत्वपूर्ण संशोधन को अधिसूचित किया। उपभोक्ता मामले खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने इस आदेश में महत्वपूर्ण संशोधन को अधिसूचित किया है। मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि संशोधित वीओपीपीए आदेश, 2025 का उद्देश्य भारत में खाद्य तेल क्षेत्र में बेहतर नियामक निगरानी और पारदर्शिता लाना है। इस संशोधित आदेश के अंतर्गत अब सभी खाद्य तेल निर्माताओं, प्रसंस्करणकर्ताओं, ब्लेंडर्स, री-पैकर्स और खाद्य तेल आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े अन्य हितधारकों के लिए वीओपीपीए आदेश के अंतर्गत पंजीकरण कराना और ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से मासिक उत्पादन और स्टॉक रिटर्न जमा करना अनिवार्य है। इसका संशोधन का उद्देश्य खाद्य तेल क्षेत्र में बेहतर विनियमन और पारदर्शिता लाना है।

मंत्रालय ने कहा कि खाद्य तेल क्षेत्र में सटीक डेटा संग्रह, वास्तविक समय निगरानी और बेहतर नीतिगत हस्तक्षेप सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका अनुपालन नहीं करने पर उल्लंघन माना जाएगा और पंजीकरण कराने या रिटर्न जमा करने में विफल रहने वाली इकाइयों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

इससे तेलों के उत्पादन, स्टॉक एवं आयात पर सरकार की कड़ी नजर बनी रहेगी। यह संशोधन आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत तैयार पुराने आदेश को वर्तमान जरूरतों के अनुसार अपडेट करने की दिशा में एक अहम प्रयास है। 2014 में वनस्पति तेल आयात एवं उपभोक्ता मामलों से जुड़ा सांख्यिकी निदेशालय के विलय के बाद हुए संस्थागत बदलाव और सांख्यिकी संग्रह अधिनियम के प्रावधानों को भी इसमें शामिल किया गया है।

खाद्य तेल क्षेत्र में डेटा संग्रहण प्रणाली होगी मजबूत
इसका मकसद खाद्य तेल क्षेत्र में डेटा संग्रहण प्रणाली को मजबूत बनाना है। सरकार का मानना है कि घरेलू उत्पादन, स्टॉक और आयात की सही और समय पर जानकारी मिलने से नीतिगत फैसले लेना आसान होगा। जरूरत महसूस होने पर आयात शुल्क में बदलाव या आयात को बढ़ावा दिया जा सकता है। इससे खुदरा कीमतों को स्थिर रखने और पूरे देश में खाद्य तेल की उपलब्धता सुधारने में मदद मिलेगी।

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