आत्मनिर्भर महिलाओं के सम्मान की ‘रेखा’

  • महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही सीएम योगी की बीसी सखी योजना
  • अयोध्या की ग्रामीण महिला रेखा को प्रति माह दस हजार की हो रही कमाई
  • -‘एक ग्राम पंचायत, एक बीसी सखीके तहत योगी सरकार ने की 58,000 बीसी सखियों की भर्ती

लखनऊ, 2 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश में महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था में योगदान भी दे रही हैं। अयोध्या के ग्रामीण इलाके की रेखा यादव इसकी मिसाल हैं। रेखा यादव प्रदेश की 58,000 बीसी सखियों में से एक हैं, जो अपने जिले के गांवों में लोगों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करते हुए खुद भी आत्मनिर्भर हो गई हैं। वह कहती हैं कि बीसी सखी बनने के बाद उन्हे गांव में एक नई पहचान मिली है। सभी मुझे नाम से जानते हैं और बैंकिंग के लेन-देन को लेकर ग्रामवासियों का विश्वास मुझे सुखद अनुभव कराता है।

बीसी सखी ने मुझे दिलाया सम्मान

बीसी सखी के रूप में काम कर रही रेखा यादव न केवल अपने गांव और आसपास के गांवों में लोगों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के सपनों को हकीकत बनाने में योगदान दे रही हैं जिन्होंने पढ़ाई के बाद अपनी खुद की पहचान स्थापित करने का सपना देखा था। रेखा बताती हैं कि जब उन्हे योगी सरकार की बीसी सखी योजना के बारे में पता चला तो उन्होंने तुरंत इसका लाभ लेने के लिए आवेदन किया और प्रशिक्षण के बाद आईआईबीएफ प्रमाणपत्र प्राप्त किया। इसके बाद मेरी कमाई धीरे-धीरे बढ़ती चली गई। योगी सरकार की इस योजना ने न केवल मुझे आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि मुझे अपने गांव और आस-पास के गांवों के लोगों की नज़रों में सम्मान दिलाया।

मई, 2020 में हुई थी शुरुआत

बीसी सखी योजना की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 22 मई, 2020 को राज्य की महिलाओं को रोजगार के अवसर देकर लाभान्वित करने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए की थी। कार्यक्रम को एनआरएलएम द्वारा तैयार की गई ‘एक ग्राम पंचायत – एक बीसी सखी’ पहल के तहत डिजाइन किया गया था। तब उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी लगभग 48000 महिलाएं बैंकिंग सखी के रूप में इस योजना में शामिल हुई हैं और गांवों में लोगों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर रही हैं। इस पहल के तहत, उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (यूपीएसआरएलएम) राज्य में 58,000 बीसी सखियों की भर्ती और संचालन कर रहा है।

हर माह तीस लाख रुपये का करती हैं लेनदेन

रेखा बताती हैं कि वह अपने परिवार में इकलौती शिक्षित महिला हैं। बीसी सखी के रूप में काम शुरू करने के बाद ग्राम पंचायत कार्यालय में एक दुकान किराए पर ली और अपने काम को आगे बढ़ाया। वह बताती हैं कि वह हर माह दस हजार रुपये तक कमाती हैं। वह हर माह 25,00,000 से 30,00,000 रुपये का लेनदेन करती है। रेखा बताती हैं कि वह बीसी प्वाइंट को बैंकिंग लेनदेन के लिए एक वन-स्टॉप समाधान के रूप में बनाना चाहती हैं। वह लोगों को नकद निकासी, नकद जमा, घरेलू धन हस्तांतरण, बिल भुगतान, आरडी और एफडी, बीमा और पेंशन आदि सेवाएं प्रदान करती हैं।

महिलाओं के लिए अपार संभावनाएं

मुख्यमंत्री योगी की पहल से 48 हजार महिलाओं को 2020 से 14.15 करोड़ रुपये से अधिक कमाने में मदद मिली है। उत्तर प्रदेश में अब तक बैंकिंग सखी से जुड़ी महिलाओं द्वारा 5451 करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया, जो दर्शाता है कि यह योजना ग्रामीण महिलाओं को स्वतंत्र, स्वाभिमानी और आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रही है। बैंकिंग सखियों ने अब तक प्रदेश में 14.15 करोड़ रुपये से अधिक का कमीशन अर्जित किया है जबकि ग्रामीणों के जीवन को और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए बैंकों को उनके दरवाजे तक पहुंचाया है। इसमें विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली लाखों महिलाओं को रोजगार प्रदान करने की अपार संभावनाएं हैं।

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