शुभांशु शुक्ला को लेकर विशेष सत्र में शामिल नहीं हुए राहुल गांधी, उदित राज ने बताई वजह

नई दिल्ली : अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की उपलब्धियों को सम्मान देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था। लेकिन, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी शामिल नहीं हुए। कांग्रेस नेता उदित राज ने इसे लेकर केंद्र पर हमला बोला है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कांग्रेस नेता उदित राज ने कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि एक दिन यह सरकार संसद के ‘विशेष सत्र’ का मतलब ही बदल देगी। इस देश में कई तरह की अहम समस्याएं हैं, लेकिन उस पर विचार विमर्श करने के लिए अभी तक संसद का एक भी विशेष सत्र आहूत नहीं किया गया।
साथ ही, उन्होंने संसद के विशेष सत्र में राहुल गांधी के शामिल नहीं होने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा, राहुल गांधी अभी वोट अधिकार यात्रा पर निकले हुए हैं। केंद्र सरकार वोट चोरी करने पर आमादा हो चुकी है। लोकतंत्र के सिद्धांतों को लगातार यह सरकार ताक पर रख रही है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। राहुल गांधी मौजूदा समय में इन्हीं सब समस्याओं को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर हैं।
इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक सेवक संघ (आरएसएस) को लेकर भी बड़ा दावा किया और कहा कि 1942 में अंग्रेजों की ओर से सेना भर्ती के कैंप लगाए थे, जिसमें अगर किसी ने वॉलिंटियर्स की भूमिका निभाई थी, तो वो आरएसएस के लोग ही थे। ऐसी स्थिति में मुझे नहीं लगता है कि आरएसएस को किसी भी स्थिति में देशभक्ति को लेकर कोई लेक्चर देने का अधिकार बचा है। आज जब देश आजाद हो चुका है, तो ये लोग खुद को देशभक्त बता रहे हैं, क्योंकि इनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है।
कांग्रेस नेता उदित राज ने दावा किया कि 1938 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक सेवक संघ ने टू नेशन थ्योरी दी थी। मेरा आरएसएस से अक्सर यह सवाल रहता है कि आखिर इन लोगों ने टू नेशन थ्योरी का विरोध क्यों किया था?
उदित राज ने मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर भी अपनी बात रखी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह सरकार की नाकामी है कि वह अभी तक जनगणना तक नहीं करा पाई। ऐसी स्थिति में आप इन लोगों से कैसे जनगणना की उम्मीद कर सकते हैं? अब केंद्र सरकार मतदाता सूची को जस्टिफाई करने के लिए कह रही है कि बिहार के अलावा अन्य राज्यों में भी आगामी दिनों में शुरू किया जाएगा। लेकिन, इन लोगों का असल मकसद बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण कराकर वहां की राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में करना है।



