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‘बोलने से खेल नहीं जीतते’, गावस्कर ने स्टोक्स को लगाई लताड़

भारत और इंग्लैंड के बीच ड्रॉ मैनचेस्टर टेस्ट के आखिरी दिन इंग्लिश कप्तान बेन स्टोक्स सुर्खियों में हैं। उन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से जबरदस्त प्रदर्शन किया। शतक और 5 विकेट हॉल का डबल कमाल किया। इससे ज्यादा चर्चा उनके पैंतरेबाजी की है जिसे उन्होंने रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर को शतक से वंचित करने के लिए की थी।

साभार : गूगल

संजय मांजरेकर ने उनके व्यवहार की तुलना बिगड़ैल बच्चे से की है, वही आर अश्विन ने उनके दोहरे मापदंड पर सवाल उठाया है। अब महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने भी बेन स्टोक्स की आलोचना की है। जडेजा और सुंदर को शतक से वंचित करने की कोशिश को लेकर नहीं, उनके बड़बोलेपन और पाखंड को लेकर।

लीड्स में पहला टेस्ट जीतने के बाद बेन स्टोक्स का बड़बोलापन दिखा था। उन्होंने कहा था कि भारत अगर 600 रन का लक्ष्य देता तब भी हम जीत के लिए खेलते। पहले टेस्ट में भारत ने इंग्लैंड को चौथी पारी में जीत के लिए 372 रन का विशाल लक्ष्य दिया था जिसे मेजबान टीम ने 5 विकेट खोकर हासिल कर लिया था।

संयोग से बर्मिंघम के एजबेस्टन ग्राउंड में खेले गए दूसरे टेस्ट में भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ जीत के लिए 600+ रन का टारगेट दे दिया। तब इंग्लैंड के कुछ खिलाड़ियों ने कहा था कि भारत डरा हुआ था, इसलिए 600+ की बढ़त के बाद पारी घोषित की। एक ही मैच बाद इंग्लैंड का ‘600 का लक्ष्य देते तो भी…’ वाला ‘आत्मविश्वास’ बड़बोलापन साबित हो गया।

भारत 336 रन के विशाल अंतर से जीता। लॉर्ड्स टेस्ट में 22 रन से हारने के बाद भारत ने मैनचेस्टर टेस्ट बचा लिया। यह ड्रॉ भी जीत जैसा महसूस हो रहा। भारत ने पहली पारी में 358 रन बनाए थे, जिसके जवाब में इंग्लैंड ने 669 रन का पहाड़ खड़ा कर दिया। भारत पर 311 रनों की बढ़त हासिल कर ली।

मुश्किल परिस्थितियों के बीच पहले केएल राहुल और कप्तान शुभमन गिल ने अविश्वसनीय दृढ़ता दिखाई। तब जब भारत दूसरी पारी में बिना खाता खोले 2 विकेट गंवा चुका था और ऋषभ पंत चोटिल थे। उसके बाद रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर ने क्या शानदार बल्लेबाजी की।

भारत ने दूसरी पारी में 5 सेशन में सिर्फ 4 विकेट ही गंवाए और मैच ड्रॉ कराकर सीरीज बराबरी की उम्मीदों को जिंदा रखा। सुनील गावस्कर ने इंग्लैंड के कप्तान के बड़बोलेपन और पाखंड पर वार करते हुए कहा कि अगर वह शुभमन गिल की जगह होते तो स्टोक्स से जरूर कुछ असहज करने वाले सवाल पूछते।

उन्होंने कहा, ‘सवाल पूछे जा सकते हैं- क्या इंग्लैंड ने बहुत देर तक बल्लेबाजी की? क्या उसे पहले ही पारी घोषित करना चाहिए था? जब भारत ने बर्मिंघम में 600 प्लस रन की बढ़त ली थी तब इंग्लैंड के कुछ खिलाड़ियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था- भारत डरा हुआ था इसलिए उसने हमें 600 रन दिए।

लेकिन मुझे याद है कि मैंने पहले कहीं पढ़ा था कि उन्होंने कहा था कि हमें 600 रन दीजिए, हम कुछ भी चेज कर सकते हैं। भारत ने वही किया और आप 336 रन पीछे रह गए।

इसलिए यह बहादुरी नहीं, थोड़ा बहुत बड़बोलापन है।’ गावस्कर ने कहा, ‘आपने 311 रन की बढ़त क्यों ली? आपर 240 की बढ़त से क्यों खुश नहीं थे? या 250? आपने जब शतक पूरा कर लिया तब आपने क्यों पारी घोषित नहीं की और इस तरह अपने गेंदबाजों को विकेट लेने के लिए कुछ और समय दे पाते।’

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