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बर्मिंघम टेस्ट : टीम इंडिया की मुश्किल चुनौती और पिच का मिजाज

बर्मिंघम के एजबेस्टन स्टेडियम में इंडिया और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज का दूसरा मुकाबला खेला जाएगा। एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी का पहला मुकाबला हारने के बाद टीम इंडिया सीरीज में 0-1 से पीछे है।

साभार : गूगल

अब दूसरा मुकाबला जहां खेला जाएगा, उस मैदान पर टीम इंडिया का रिकॉर्ड बहुत ही ज्यादा खराब है। उस रिकॉर्ड के अलावा आप ये भी इस स्टोरी में जान लीजिए कि बर्मिंघम के इस खूबसूरत स्टेडियम की पिच का मिजाज इस मुकाबले में कैसा रहने वाला है।

बर्मिंघम में टीम इंडिया ने 8 मुकाबले खेले हैं, जिनमें से सात मैचों में टीम को हार मिली है और एक मैच ड्रॉ रहा है, जो 1980 के दशक में खेला गया था। भारत को यहां कई दशकों से जीत नहीं मिल पाई है। टीम पहले से ही पिछड़ चुकी है और अब ऐसे स्टेडियम में मैच खेलेगी, जहां जीत नहीं मिली तो यह बहुत मुश्किल भरा रहने वाला है।

एजबेस्टन की बात करें तो यहां अब तक 56 टेस्ट मैच खेले गए हैं। इनमें से 29 मैचों में उन टीमों ने जीत दर्ज की है, जिन्होंने पहले बल्लेबाजी की है। वहीं, पहले गेंदबाजी करने वाली टीम इन 56 मैचों में से सिर्फ 12 मैचों में जीत दर्ज कर पाई है।

15 मुकाबले यहां ड्रॉ भी रहे हैं। टॉस की भूमिका यहां अहम रहती है, लेकिन जीत प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो टॉस जीतकर गेंदबाजी करने पर आपके 50 फीसदी के करीब चांस मुकाबले जीतने के हो जाते हैं।

पिछले 10 टेस्ट मैचों में एजबेस्टन में पहली पारी का औसत स्कोर 334 रहा है। पिछली बार जब भारत ने इस मैदान पर खेला था, तो इंग्लैंड ने 378 रनों के लक्ष्य का सफलतापूर्वक हासिल कर लिया था।

इस मैदान पर पिछले चार टेस्ट मैचों में लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम को जीत मिली है, जो दर्शाता है कि पिच बल्लेबाजों को मदद करती है। इंग्लैंड के इस मैदान पर भी बाकी के मैदानों की तरह पेसर्स को मदद मिलती है। साल 2000 के बाद से तेज गेंदबाजों ने 31 की औसत से 490 विकेट लिए हैं। स्पिनर भी यहां फायदे में रहे हैं। उनका औसत 34 का है और विकेट उनको 153 मिले हैं।

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