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Delhi Assembly Elections: क्या DM फैक्टर के सहारे दिल्ली में अपने आप को जिंदा कर पाएगी कांग्रेस

बीएस राय: दिल्ली विधानसभा चुनाव: दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर पैर जमाने की कोशिश में जुटी कांग्रेस दलित-मुस्लिम (डीएम) फैक्टर को केंद्र में रखकर अपनी चुनावी रणनीति बना रही है। हालांकि, भारत गठबंधन के सहयोगियों के कारण इसकी राह मुश्किल होती दिख रही है। खासकर समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने आम आदमी पार्टी (आप) को समर्थन देने का ऐलान कर कांग्रेस की रणनीति को झटका दिया है।

2013 के चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की हार के बावजूद कांग्रेस ने आठ सीटों पर जीत दर्ज की थी। इनमें सुल्तानपुर माजरा, गांधी नगर, बल्लीमारान और चांदनी चौक जैसी सीटें शामिल थीं। इन सीटों पर कांग्रेस की जीत का श्रेय मुख्य रूप से दलित-मुस्लिम वोट बैंक को दिया गया था। इस बार भी कांग्रेस इन समुदायों पर भरोसा कर रही है ताकि दिल्ली विधानसभा में अपनी मौजूदगी दर्ज करा सके इन 20 सीटों पर दलित और मुस्लिम वोटरों का निर्णायक प्रभाव है।

1998 से 2013 तक कांग्रेस ने इन सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया। पार्टी का मानना है कि इन सीटों पर जीत हासिल कर वह सत्ता में वापसी का रास्ता साफ कर सकती है। कांग्रेस की रणनीति और उम्मीदें कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बार उसका परंपरागत दलित और मुस्लिम वोट बैंक वापस आएगा।

इसके लिए पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ संदीप दीक्षित और सीएम उम्मीदवार आतिशी के खिलाफ अलका लांबा को मैदान में उतारा है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा का कहना है कि जब कांग्रेस वापसी करती है तो अपने साथ नए वोटरों को भी लाती है। मुश्किलें कम नहीं हालांकि कांग्रेस की राह आसान नहीं है।

कांग्रेस गठबंधन को बचाने के लिए दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ रही है। केंद्रीय नेतृत्व का चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय रूप से हिस्सा न लेना भी पार्टी की स्थिति को कमजोर कर सकता है। त्रिकोणीय मुकाबला: आप और भाजपा के बीच मुकाबले को त्रिकोणीय बनाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती यह फैसला कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है, खासकर यूपी और बंगाली वोटरों के बीच।

कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने सपा द्वारा आप को समर्थन दिए जाने पर नाराजगी जताई। उन्होंने अखिलेश यादव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह अपने पिता मुलायम सिंह यादव का अपमान भूल गए हैं। उन्होंने कहा, “अगर एक बेटा अपने पिता का अपमान भूल सकता है, तो वह किसी का भी समर्थन कर सकता है।”

कांग्रेस के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। पार्टी डीएम फैक्टर के जरिए अपना खोया जनाधार वापस पाने की कोशिश कर रही है, वहीं भारत गठबंधन के भीतर सहयोगी दलों की चालें उसकी मुश्किलें बढ़ा रही हैं। इन चुनौतियों के बावजूद कांग्रेस को उम्मीद है कि उसकी रणनीति उसे दिल्ली की राजनीति में फिर से जगह दिलाएगी।

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