पेरिस ओलंपिक : भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने किया निराश
भारतीय बैडमिंटन प्लेयर्स का लंदन ओलंपिक से शुरू हुआ पदक जीतने का सिलसिला 12 साल के बाद पेरिस ओलंपिक में रुक गया।
लक्ष्य सेन ने पुरुष एकल के सेमीफाइनल में पहुंच कर पदक की उम्मीद जगाई थी, सेमीफाइनल और कांस्य पदक के मुकाबले में अच्छी स्थिति में होने के बावजूद उनकी हार चिंताजनक रही।
पीवी सिंधु से पेरिस में हैट्रिक की उम्मीद थी, सात्विकसाइराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी को पदक का बड़ा दावेदार माना गया था। पुरुष एकल में एच एस प्रणय और महिला युगल में अश्विनी पोनप्पा और तनीषा क्रास्टो दबाव में बिखर गयी।
ओलंपिक के पेरिस चक्र के दौरान सरकार से बैडमिंटन को काफी समर्थन मिला, जिसमें 13 राष्ट्रीय शिविर और 81 विदेशी अनुकूलन दौरे थे। इनका खर्च टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम के तहत किया गया।
भारतीय खेल प्राधिकरण के मिशन ओलंपिक सेल ने बैडमिंटन के लिए 72.03 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो भारत की ओलंपिक तैयारियों के लिए 16 खेल में खर्च किए गए लगभग 470 करोड़ रुपये में से दूसरी सबसे बड़ी राशि है।
सेमीफाइनल में विक्टर एक्सेलसेन और कांस्य पदक के मैच में चीनी ताइपे के ली जी जिया के खिलाफ मजबूत स्थिति को वह भुनाने में नाकाम रहे। सिंधु को 3.13 करोड़ रुपये की मदद मिली, वह प्री-क्वार्टर फाइनल से आगे बढ़ने में नाकाम रही।
लक्ष्य के दो मैचों में हार से उनके कोच और ऑल इंग्लैंड के पूर्व विजेता प्रकाश पादुकोण काफी खफा दिखे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं थोड़ा निराश हूं, वह इसे पूरा नहीं कर सका।
मुझे निराशा है कि हम बैडमिंटन में एक भी पदक नहीं जीत सके। सरकार, साइ और टॉप्स ने अपना काम किया है। अब समय आ गया है कि खिलाड़ी भी कुछ जिम्मेदारी उठायें।
विश्व के पूर्व नंबर एक खिलाड़ी सात्विक और चिराग की जोड़ी की हार चौंकाने वाली थी, उन्हें स्वर्ण पदक का दावेदार माना जा रहा था। सरकार ने खिलाड़ियों को बड़े पैमाने पर समर्थन दिया था, जिसमें जर्मनी और फ्रांस में सिंधु और लक्ष्य के प्रशिक्षण के लिए क्रमशः 26.60 लाख रुपये और 9.33 लाख रुपये मंजूर किए गए थे।
पिछले दो ओलंपिक की रजत और कांस्य विजेता सिंधु के पास खेलों से पहले प्रशिक्षण के दौरान सारब्रकन में 12 सदस्यीय सहायक टीम थी, वह चीन की ही बिंगजियाओ से आगे निकलने में असफल रहीं।
सात्विक और चिराग ने इस साल बीडब्ल्यूएफ के चार विश्व टूर फाइनल में दो खिताब जीते थे और 2023 एशियाई खेल, 2022 राष्ट्रमंडल खेल और 2023 एशिया चैंपियनशिप जैसे प्रमुख आयोजनों में कई पदक जीते थे।
सरकार ने पेरिस चक्र के लिए इस भारतीय जोड़ी पर 5.62 करोड़ रुपये खर्च किए, क्वार्टर फाइनल में मलेशिया के आरोन चिया और सोह वूई यिक ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस हार के बाद डेनमार्क कोच माथियास बो ने कोचिंग छोड़ने की घोषणा कर दी।
विश्व चैंपियनशिप (2023) और एशियाई खेल में कांस्य पदक विजेता प्रणय को प्रशिक्षण के लिए 1.8 करोड़ रुपये मिले, खेलों से पहले चिकनगुनिया ने उनके अभ्यास को बाधित किया।
उन्हें प्री-क्वार्टर फाइनल में लक्ष्य से हार मिली। अश्विनी और तनीषा को 1.5-1.5 करोड़ रुपये का समर्थन मिला, यह जोड़ी ग्रुप चरण में कोई भी मैच जीतने में विफल रही।
लक्ष्य ने आखिरी के दो मैचों में असफलता के बावजूद जज्बा और शानदार कौशल का प्रदर्शन किया और चौथे स्थान पर रहे। इंडोनेशिया के जोनाथन क्रिस्टी और चीनी ताइपे के चाउ टीएन चेन पर उनकी जीत सराहनीय थी। मजबूत स्थिति में होने के बावजूद चैंपियन एक्सेलसेन और जी जिया से उनकी हार ने बड़ी कमजोरियों को उजागर किया।
लॉस एंजिल्स में 2028 में होने वाले अगले ओलंपिक में यह देखना होगा कि सिंधू अपनी फिटनेस बरकरार रखती है या नहीं। सात्विक और चिराग की जोड़ी के साथ ही लक्ष्य पेरिस से मिली सीख का इस्तेमाल कर मजबूत वापसी करना चाहेंगे।
प्रियांशु राजावत और तृषा जॉली एवं गायत्री गोपीचंद की महिला युगल जैसी उभरती प्रतिभाओं को देखते हुए भारत की बैडमिंटन संभावनाएं अगले चार वर्षों के लिए आशाजनक बनी हैं।