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सैंटियागो नीवा फिर से भारतीय महिला मुक्केबाजी टीम के मुख्य कोच

भारतीय मुक्केबाजी में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है, क्योंकि सैंटियागो नीवा, जो अर्जेंटीना में जन्मे और स्वीडन के पूर्व मुक्केबाज हैं, महिला राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच के रूप में टीम से फिर से जुड़ गए हैं।

नीवा पहले 2017 से 2022 तक भारत की पुरुष टीम के उच्च प्रदर्शन निदेशक (एचपीडी) के रूप में काम कर चुके हैं और उस दौरान टीम के लिए बड़े अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मार्गदर्शन किया था। अब उनका ध्यान महिला मुक्केबाजों की क्षमता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने पर केंद्रित होगा।

उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की, जिनमें टोक्यो ओलंपिक में भारत की अब तक की सर्वोच्च भागीदारी और 2019 पुरुष विश्व चैंपियनशिप में दो ऐतिहासिक पदक शामिल हैं।

Photo Credit: AFP

नीवा ने कहा, ‘‘भारत वापस आकर बेहद उत्साहित हूं। मेरे पिछले कार्यकाल में यहां पांच साल शानदार रहे। मैं इस अगले अध्याय का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं। उम्मीद है कि हम साथ मिलकर कुछ बड़ा कर पाएंगे।’’ नीवा के पास दो दशकों से अधिक का उत्कृष्ट अंतरराष्ट्रीय कोचिंग अनुभव है।

उन्होंने इस भूमिका में मुक्केबाजी जगत में कुछ शानदार परिणाम हासिल किये हैं। भारत के साथ अपने पहले कार्यकाल के बाद उन्होंने हाल ही में बॉक्सिंग ऑस्ट्रेलिया की हाई परफॉर्मेंस इकाई के मुख्य राष्ट्रीय कोच और तकनीकी प्रमुख के रूप में कार्य किया था।

भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि सैंटियागो की नियुक्ति भारत में महिला मुक्केबाजी लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है। उन्होंने कहा, ‘‘सैंटियागो की नियुक्ति महिला मुक्केबाजी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। वह तकनीकी उत्कृष्टता और अंतरराष्ट्रीय समझ के साथ हमारी प्रणाली को मजबूत करेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे खिलाड़ियों ने दिखा दिया है कि वे दुनिया के सबसे कठिन मंचों पर भी आगे बढ़ सकते हैं और सैंटियागो के मार्गदर्शन में उनकी प्रगति को देखते हुए हमें विश्वास है कि हम दुनिया के सबसे बड़े मंचों पर भारत की उपस्थिति और महत्वाकांक्षा को मजबूत करेंगे।’’

नीवा, डी. चंद्रलाल की जगह लेंगे जो कोचिंग स्टाफ का हिस्सा बने रहेंगे। भारतीय महिला मुक्केबाजों ने इस साल शानदार प्रदर्शन किया है और विश्व चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक सहित चार पदक जीते हैं। इसके बाद घरेलू मैदान पर विश्व मुक्केबाजी कप फाइनल्स में भी उन्होंने 10 पदक जीते।

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