आइसलैंड का व्यंग्य, भारत की सच्चाई: टेस्ट क्रिकेट का संकट और अवसर
भारतीय टेस्ट क्रिकेट इस वक्त एक गहरे बदलाव के दौर से गुजर रहा है—और इसी उथल-पुथल के बीच आइसलैंड क्रिकेट ने अपने परिचित व्यंग्यात्मक अंदाज़ में भारतीय मुख्य कोच गौतम गंभीर पर निशाना साध दिया।
सोशल मीडिया पर चुटीले पोस्ट के लिए मशहूर यह संस्था अक्सर क्रिकेट महासत्ता भारत को हास्य के लहजे में चिढ़ाती रहती है, और इस बार भी मौका नहीं गंवाया।
आइसलैंड क्रिकेट ने एक्स पर पोस्ट कर चुटकी ली कि वह गंभीर को अपनी राष्ट्रीय टीम के कोच के रूप में आमंत्रित करने पर विचार नहीं कर रहे हैं, क्योंकि “टीम ने 2025 में 75% मैच जीत लिए हैं और कोच का पद पहले से भरा हुआ है।” व्यंग्य साफ था—भारतीय टेस्ट टीम की हालिया गिरावट पर एक तीखा कटाक्ष।

लेकिन इस मज़ाक से परे, भारतीय टेस्ट क्रिकेट में एक गहरा बदलाव चल रहा है। गंभीर के कार्यभार संभालने से पहले भारत घर में लगभग अजेय माना जाता था, लेकिन उनके कार्यकाल की शुरुआत ने टेस्ट में भारतीय प्रभुत्व की जड़ों को हिला दिया।
न्यूजीलैंड की 3–0 की ऐतिहासिक जीत ने 12 साल पुराने अजेय रिकॉर्ड को तोड़ा, और ऑस्ट्रेलिया दौरे की 1–3 की हार ने हालात और विचलित कर दिए। इसी दौर में आर अश्विन, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे दिग्गजों के अचानक टेस्ट संन्यास ने भारतीय टेस्ट टीम को अनुभव और नेतृत्व—दोनों मोर्चों पर कमजोर कर दिया।

शुभमन गिल को कप्तान बनाकर एक नई दिशा दी गई, और इंग्लैंड के खिलाफ 2–2 की सीरीज़ ने यह संकेत जरूर दिया कि टीम अभी पुनर्निर्माण की राह पर लौट सकती है। हालांकि, घर में पिछले छह टेस्ट में चार हार और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चल रहे टेस्ट में भी संकट की स्थिति यह दिखाती है कि भारतीय टेस्ट टीम अभी स्थिरता से दूर है।
गंभीर के कार्यकाल में भारत की केवल दो घरेलू टेस्ट सीरीज जीत—वो भी अपेक्षाकृत कमजोर माने जाने वाले बांग्लादेश और वेस्टइंडीज के खिलाफ—इस बदलाव को और गहरा बनाती हैं।
असल सवाल यह है कि क्या यह गिरावट गंभीर की रणनीतिक चूक है, या भारतीय टेस्ट क्रिकेट एक बड़े संक्रमण काल से गुजर रहा है, जिसमें वरिष्ठ खिलाड़ियों के संन्यास, नई कप्तानी और बदलती स्क्वाड संरचना ने प्रदर्शन को प्रभावित किया है? आइसलैंड क्रिकेट ने तंज जरूर किया, लेकिन यह घटना भारतीय टेस्ट क्रिकेट के मौजूदा दौर की सच्चाई की ओर भी इशारा करती है—यह वह समय है जब टीम को आलोचनाओं से ज्यादा संतुलन, स्थिरता और नए नेतृत्व की जरूरत है।



