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उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद में नियुक्तियाें का मामला गरमाया, एनएचआरसी ने अल्पसंख्यक विभाग से मांगा जवाब

लखनऊ/बलरामपुर : उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद में कथित नियुक्ति घोटाले का जिन्न एक बार फिर सुर्खियों में है। सामाजिक कार्यकर्ता की शिकायत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने अब इस मामले में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक से जवाब तलब किया है।एनएचआरसी ने हाल ही में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को जारी नोटिस में उल्लेख किया है कि प्रकरणों के जांच में कई मामले सामने आए हैं। वर्ष 2025 में मदरसों में की गई नियुक्तियों के लिए वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई, जबकि इस अवधि में नई नियुक्तियों पर प्रतिबंध लगा था। इसके अतिरिक्त 1 अप्रैल 2025 से 24 अप्रैल 2025 के बीच 20 नियुक्ति के लिए वित्तीय स्वीकृति दी गई, लेकिन बाद में इनमें से छह नियुक्तियों की वित्तीय स्वीकृति वापस ले ली गई। इससे स्पष्ट है कि अनुमोदन प्रक्रिया में ना केवल अपारदर्शी थी, बल्कि व्यक्तिगत लाभ के लिए संचालित की गई थी। पत्र में उल्लेख किया गया है कि शिकायतकर्ता का आरोप प्रथमदृष्टया मानवाधिकार का उल्लंघन भी है।दरअसल, सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर तलहा अंसारी ने एनएचआरसी सदस्य प्रियंक कानूनगो को भेजे गए पत्र में दावा किया था कि तत्कालीन रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने रिश्तेदारों को विभिन्न मदरसों में नियुक्त कराया। जिनमें मानवेंद्र बहादुर सहायक अध्यापक मदरसा जामिया अरबिया इमदादुल उलूम, बाराबंकी, यशवंत सिंह सहायक अध्यापक मदरसा आलिया मिस्बाहुल उलूम, सब्ज़ी मंडी, प्रयागराज व काजल सिंह (रजिस्ट्रार की भतीजी) जो कि मदरसा चश्मे हयात, रेहटी, जौनपुर में नियुक्त है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन नियुक्तियों पर अनुमोदन आदेशों पर खुद रजिस्ट्रार आरपी सिंह के हस्ताक्षर हैं।इसी तरह से बलरामपुर में भी तत्कालीन रजिस्ट्रार ने मदरसा अहले सुन्नत फखरुल उलूम जनपद बलरामपुर में एक फर्जी प्रबंध तंत्र को अपने पद के दुरुपयोग के कारण केयरटेकर शब्द के माध्यम से प्रबंधक के रूप में तैनात किए जाने का प्रकरण प्रकाश में आया। जिसके कारण फर्जी प्रबंधक ने प्रधानाचार्य अब्दुल वहाब को अनियमित रूप से निलंबित कर दिया गया। जिसे वर्तमान रजिस्ट्रार मदरसा बोर्ड ने अमान्य करार दिया गया था एवं कार्यवाहक प्रधानाचार्य के जबरन चार्ज ना दिए जाने के कारण प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराए जाने के निर्देश दिए गए थे। इस पूरे प्रकरण में अंकित अग्रवाल निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में स्वीकार किया कि उन्हें बुधवार काे पत्र मिला है। वे मामले की पड़ताल कर रिपाेर्ट तैयार करा रहे हैं। उन्हाेंने नियुक्तियों की जांच को लेकर अधिक जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया।

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