स्वदेशी नाग मार्क-2 मिसाइलें खरीदेगी भारतीय सेना

राघवेंद्र प्रताप सिंह: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश का रक्षा मंत्रालय लगातार स्वदेशी हथियार प्रणालियों को बढ़ावा दे रहा है। सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने भी कई मौकों पर कहा है कि भविष्य की जंग स्वदेशी हथियारों से ही जीती जाएगी। इसी दिशा में सेना कई आधुनिक प्रणालियों को शामिल कर रही है। अब भारतीय सेना अपनी मारक क्षमता को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। रक्षा मंत्रालय जल्द ही 2,408 नाग मार्क-2 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें और 107 नामिका ट्रैक्ड वाहन खरीदने की मंजूरी देने वाला है। यह पूरी तरह स्वदेशी प्रणाली है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। यह एक तीसरी पीढ़ी की ‘फायर एंड फॉरगेट’ मिसाइल है, जो टैंक को बिना किसी मार्गदर्शन के सीधा निशाना बनाती है। जनवरी 2025 में पोखरण रेंज में हुए फील्ड ट्रायल्स में इस मिसाइल ने अधिकतम और न्यूनतम रेंज में सभी लक्ष्यों को पूरी तरह नष्ट कर अपनी सटीकता साबित की थी।
यह सौदा भारत की आत्मनिर्भर भारत मुहिम के तहत रक्षा क्षेत्र में अब तक के सबसे अहम अनुबंधों में से एक माना जा रहा है। रक्षा अधिग्रहण परिषद की 2 बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलेगी । ये मिसाइलें भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित की जाएंगी। नाग मार्क-2 मिसाइल, अपने पिछले संस्करण की तुलना में अधिक सटीक, घातक और तकनीकी रूप से उन्नत है।
भारत का बढ़ता रक्षा उद्योग: राघवेंद्र प्रताप सिंह
देश के रक्षा मंत्रालय और उसके विभागों के अनवरत प्रयासों के चलते भारत का रक्षा उद्योग लगातार बढ़ रहा है। भारत का लक्ष्य 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये का रक्षा विनिर्माण और 50,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात अर्जित करना है। भारत का रक्षा उत्पादन, जो 2014 में 46,000 करोड़ रुपये से अधिक था, अब 2025 में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। इसके साथ ही 33,000 करोड़ रुपये से अधिक निजी क्षेत्र से आता है, जो स्पष्ट संकेत है कि उद्योग आत्मनिर्भरता मिशन में एक समान हितधारक बन गया है। गौरतलब है कि भारत का रक्षा निर्यात 2014 में 1,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025 में रिकॉर्ड 23,500 करोड़ रुपये हो गया है। “रक्षा उपकरणों के विश्व के सबसे बड़े आयातकों में से एक होने से लेकर रक्षा प्रणालियों के एक विश्वसनीय निर्यातक बनने तक की यह उल्लेखनीय यात्रा भारत के राष्ट्रीय संकल्प का प्रमाण है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है ने कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता केवल मेक इन इंडिया या निर्यात के आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस आत्मविश्वास का विषय है कि संकट के समय में हम अपनी रक्षा के लिए किसी और पर निर्भर नहीं रहेंगे।
आधुनिक युद्ध केवल अस्त्रों पर ही आधारित नहीं है, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, साइबर और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के प्रभाव पर भी आधारित है। इसलिए भारत को अत्याधुनिक तकनीक में वास्तविक निवेश से कहीं ज़्यादा बौद्धिक निवेश करना होगा। राष्ट्र को एक ऐसे नए भारत के निर्माण के लिए पारंपरिक शक्ति को आधुनिक नवाचार के साथ जोड़ना होगा जो विश्व स्तरीय रक्षा प्रणालियों का डिज़ाइन, विकास और उत्पादन करे।



