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समुद्री चरण पूरा करके भारतीय युद्धपोत जापान के योकोसुका बंदरगाह पर पहुंचा

नई दिल्ली : भारतीय नौसेना का पोत आईएनएस सह्याद्रि जापान के साथ समुद्री चरण का अभ्यास पूरा करके हार्बर चरण के लिए योकोसुका में बंदरगाह पर पहुंच गया है। स्वदेश निर्मित शिवालिक श्रेणी के इस गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट के साथ समुद्री चरण में उन्नत पनडुब्बी रोधी युद्ध और मिसाइल रक्षा अभ्यास शामिल थे। भारत और जापान की नौसेनाओं के बीच ‘जैमेक्स’ अभ्यास ‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’ का आधार है।नौसेना के मुताबिक योकोसुका पहुंचने से पहले जापान-भारत समुद्री अभ्यास 16 से 18 अक्टूबर तक हुआ, जिसमें आईएनएस सह्याद्रि और जापानी पोत असाही, ओमी और पनडुब्बी जिनरयू ने भाग लिया। समुद्री चरण में उन्नत पनडुब्बी रोधी युद्ध और मिसाइल रक्षा अभ्यास शामिल थे, जिसमें उड़ान संचालन और चल रहे पुनःपूर्ति के माध्यम से अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाया गया। दोनों देशों के बीच यह साझेदारी हिंद-प्रशांत समुद्री क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।योकोसुका में बंदरगाह चरण के दौरान आईएनएस सह्याद्री के चालक दल और भाग लेने वाले जापान समुद्री आत्मरक्षा बल (जेएमएसडीएफ) की इकाइयां विविध व्यावसायिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में शामिल होंगी। इन गतिविधियों में क्रॉस-डेक दौरे, सहयोगात्मक परिचालन योजना, सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान और सौहार्द एवं एकता को बढ़ावा देने के लिए एक संयुक्त योग सत्र शामिल होगा। यह बंदरगाह यात्रा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जहाज की चल रही लंबी दूरी की तैनाती के दौरान एक महत्वपूर्ण गतिविधि भी है।जापान के साथ समुद्री अभ्यास में भाग ले रहा आईएनएस सह्याद्री स्वदेशी रक्षा तकनीक के प्रति भारत की बढ़ती रुचि और राष्ट्र के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण का प्रमाण है। नौसेना में 2012 में कमीशन किये गए इस बहु-भूमिका वाले स्टील्थ फ्रिगेट ने विभिन्न परिचालन तैनाती, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यासों में भाग लिया है। भारत और जापान के बीच रणनीतिक साझेदारी लंबे समय से बेहद मजबूत रही है, जिसमें रक्षा और समुद्री सहयोग पर विशेष ध्यान दिया गया है। भारतीय नौसेना और जेएमएसडीएफ स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साझा दृष्टिकोण के साथ इस बढ़ती साझेदारी में अग्रणी रहे हैं।————

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