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कैसे जलना शुरू हुआ नेपाल, अब तक 19 प्रदर्शनकारियों की मौत

नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़े पैमाने पर भड़के प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है. रविवार को हुए प्रदर्शनों में कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग घायल हुए. इस घटना के बाद नेपाल के गृहमंत्री रमेश लेखक ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया और कहा कि यह उनका नैतिक दायित्व है.

काठमांडू में हिंसा और गोलीबारी

नए बानेश्वर इलाके में प्रदर्शन के दौरान पुलिस और युवाओं के बीच झड़प हुई. एक प्रदर्शनकारी को गोली लग गई और बाद में सिविल अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. कई घायलों की पहचान अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है.

दमक में पीएम ओली का पुतला दहन
पूर्वी नेपाल के दमक शहर में भी प्रदर्शनकारियों ने दमक चौक से जुलूस निकालकर नगरपालिका कार्यालय का घेराव किया. उन्होंने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का पुतला जलाया और कार्यालय के गेट में घुसने की कोशिश की. हालात काबू में करने के लिए पुलिस ने पानी की बौछारें, आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं. स्थानीय मीडिया के मुताबिक, इसमें एक प्रदर्शनकारी गंभीर रूप से घायल हो गया. प्रदर्शनकारियों ने कई मोटरसाइकिलों में आग भी लगा दी.

पुलिस से सीधी भिड़ंत
कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और यहां तक कि पुलिस द्वारा छोड़े गए आंसू गैस के गोले वापस फेंक दिए. हालात बिगड़ने पर पुलिसकर्मी ढाल के सहारे समूह बनाकर बचाव करते नजर आए.

सरकार पर दबाव बढ़ा
हिंसक झड़पों के बाद नेपाल सरकार बैकफुट पर आ गई है. सरकारी प्रवक्ता पृथ्वी सुब्बा गुरुङ ने कहा कि सोशल मीडिया बैन पर पुनर्विचार किया जा सकता है. उन्होंने स्वीकार किया कि जनता की जान से बढ़कर कोई नीति नहीं हो सकती. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस मुद्दे पर कैबिनेट बैठक बुलाई है.

क्यों लगा सोशल मीडिया पर बैन?
पिछले हफ्ते नेपाल सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब सहित कई सोशल मीडिया साइट्स पर पाबंदी लगा दी थी. सरकार का कहना था कि इन कंपनियों ने संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ पंजीकरण नहीं कराया. इसके लिए सात दिन की समयसीमा दी गई थी, लेकिन कंपनियों ने नियम मानने से इंकार कर दिया.

सरकार का तर्क है कि ये प्लेटफॉर्म टैक्स नहीं देते और स्थानीय कानूनों का पालन करने को तैयार नहीं हैं. प्रधानमंत्री ओली ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा कि यह कदम “राष्ट्रीय गरिमा” बचाने के लिए उठाया गया है. उन्होंने कहा कि चार नौकरियों के नुकसान से ज्यादा अहम देश का आत्मसम्मान है.

जनता के बीच गुस्सा
सोशल मीडिया बैन के बाद से टिकटॉक पर हजारों वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें आम नेपाली नागरिकों की मुश्किलें और नेताओं के बच्चों की ऐशो-आराम भरी जिंदगी की तुलना दिखाई जा रही है. इससे युवाओं का गुस्सा और भड़क गया है. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय ध्वज लहराते हुए राष्ट्रगान गाकर विरोध की शुरुआत की और फिर भ्रष्टाचार खत्म करो और सोशल मीडिया बैन हटाओ जैसे नारे लगाए.

नेपाल का सोशल मीडिया से पुराना टकराव
नेपाल पहले भी कई बार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर रोक लगा चुका है. जुलाई 2024 में टेलीग्राम ऐप को धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में बैन किया गया था. वहीं, टिकटॉक पर नौ महीने तक लगी पाबंदी अगस्त 2024 में तब हटाई गई जब कंपनी ने स्थानीय नियमों को मानने पर सहमति दी.

आगे क्या?
नेपाल सरकार ने कहा है कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करती है, लेकिन साथ ही सोशल मीडिया कंपनियों को कानून का पालन करना होग. अब कैबिनेट की बैठक पर सबकी निगाहें टिकी हैं, जहां बैन पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

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